कम्प्यूटर क्या है? पूरी जानकारी हिंदी में What is Computer in Hindi

 

Computer in Hindi:- क्या आप सर्च कर रहे हैं की कंप्यूटर क्या है (What is Computer in Hindi) और कंप्यूटर कैसे इस्तेमाल करतें है तो आप बिलकुल सही जगह पे आए हैं यहाँ आज मैं आपको पूरी जानकारी दूंगा की कंप्यूटर क्या है(What is Computer in Hindi), कंप्यूटर को कैसे इस्तेमाल करते है और उनके उनके इम्पोर्टेन्ट पार्ट्स क्या क्या हैं।

कम्प्यूटर क्या है? (What is Computer in Hindi?) 

पर्सनल कम्प्यूटर या पी. सी. ( PC) से हम सभी अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं, लकिन क्या आप जानते हैं कि यह पर्सनल कम्प्यूटर है क्या?

पर्सनल कम्प्यूटर उन सामान्यउद्देशीय कम्प्यूटर्स को कहते हैं, जो आकार, क्षमता और मूल्य को दृष्टि से किसी व्यक्ति के लिए इसे उपयोगी बनाता हो तथा एक बार में जिसका प्रयोग कोई एक व्यक्ति ही कर सके।

इस प्रकार के कम्प्यूटरों का प्रयोग प्राय: सामान्य कम्प्यूटिंग कार्यों के लिए ही किया जा सकता है, जैसै, वर्ड प्रोसेसिंग, इंटरनेट ब्राउजिंग,

डाउनलोडिंग, अकाउंटिंग आदि। इसके विपरीत मिनी, मेनफ्रेम या सुपर कम्प्यूटर्स का प्रयोग एक साथ कई लोग विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक कार्यों के लिए कर सकते हैं। 

भले ही सन् 1948 से 1957 के बीच बनाये गये आईबीएम 610 को पहला पर्सनल कम्प्यूटर माना जाता हो, लेकिन पर्सनल कम्प्यूटर के वर्तमान स्वरूप की मुख्य शुरुआत 1970 के दशक से आरम्भ हुई।

हालाँकि पर्सनल कम्प्यूटर की क्षमता में सबसे ज्यादा विकास हुआ 1990 के दशक में, जिस वजह से पर्सनल कम्प्यूटर और मल्टीयूजर कम्प्यूटर्स के बीच के अन्तर कम होते जा रहे हैं। 

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पर्सनल कम्प्यूटर के भाग (Components of Personal Computer in Hindi)

एक पर्सनल कम्प्यूटर इनपुट डिवाइसों (Input Devices), आउटपुट डिवाइसों (Output Devices), स्टोरेज डिवाइसों (Storage Devices), सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) और कई अन्य यन्त्रों से मिलकर बनता है।

पर्सनल कम्प्यूटर के लिए कौनकौन से कम्पोनेण्ट्स (घटक) आवश्यक हैं, आइए हम इस पर विचार करते हैं

मदरबोर्ड (MotherBoard)

 अगर हमारा शरीर एक कम्प्यूटर है, तो उसका स्नायु तन्त्र (Nervous System) एक मदरबोर्ड है।

जिस प्रकार से स्नायु तन्त्र शरीर के हर भाग से जुड़ा होता है और उन तक ऊर्जा पहुँचाता है, उसी प्रकार से मदरबोर्ड भी कार्य करता है।

मदरबोर्ड, जिसे मुख्यबोर्ड (Mainboard) या सिस्टम बोर्ड (System board) भी कहा जाता है, डेस्कटॉप, लैपटॉप आदि के सेण्ट्रल प्रोसेसिंग।

यूनिट में लगा एक ऐसा बोर्ड होता है, जो कम्प्यूटर के सभी हिस्सों को ऊर्जा प्रदान करता है तथा उन्हें आपस में जोड़कर रखता है।

एक कम्प्यूटर की रचना जितने भी अवयवों से होती है, फिर चाहे वह प्रोसेसर, रैम या हार्डडिस्क हो या फिर मॉनिटर, कीबीर्ड या माउस, वे सभी मदरबोर्ड से जुड़े होते हैं। कौनसा प्रोसेसर है बेहतर

दिमाग के बिना शरीर का कोई अस्तित्व नहीं है। हमारा दिमाग ही है, जो हमारे पूरे शरीर को नियन्त्रित करता है।

कम्प्यूटर में सारी गणनाएँ करने का काम करता हैप्रोसेसर‘, जिस वजह से इसे कम्प्यूटर का दिमाग भी कहा जाता है।

हम प्राय: सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट या सीपीयू नाम से कम्प्यूटर के कैबिनेट को पुकारते हैं, लेकिन असल में यहप्रोसेसरनामक एक छोटीसी चिप ही है,

जिसेसीपीयूकहा जाता है, क्योंकि यही कम्प्यूटर प्रोग्राम के सभी निर्देशों का वहन करते हुए विभिन्न गणनाएं करता है।

तो जबप्रोसेसरकम्प्यूटर का इतना महत्त्वपूर्ण अंग है, तो क्या बिना सोचेसमझे हम अपने कम्प्यूटर में कोई भी प्रोसेसर लगा लें। नहीं, क्योंकि मार्केट में उपलब्ध हर प्रोसेसर को अपनी अलग क्षमता है।

जब आप कोई कम्प्यूटर खरीदने मार्केट जायेंगे, तो विक्रेता आपके समक्ष कई प्रकार के प्रोसेसर्स का विकल्प रखेंगे,

जैसेइंटेल, सेलेरॉन, पेंटियम,ड्यूअल कोर, कोर-2 ड्यूओ, आई, आई, आई7 या एएमडी।

इनके अतिरिक्त भी कई अन्य नाम हैं। अब यह सोचकर सबसे महँगा प्रोसेसर खरीद लेना कि वही सबसे अच्छा होगा निश्चित तौर पर घाटे का सौदा साबित हो सकता है क्योंकि हो सकता है, कि आपको उतने ज्ञाक्तिशाली प्रोसेसर को आवश्यकता ही हो। 

स्पीड (Speed) :

आपने हमेशा ही प्रोसेसर के सन्दर्भ मेंगीगाहर्ट्जनामक शब्द सुना होगा। इसका अर्थ प्रोसेसर की गति से है यानी उसके डाटा के साथ कार्य की रफ़्तार प्रोसेसर की गति जितनी ज्यादा होगी, आपका कम्प्यूटर उतनी ही तेजी के साथ कार्य करेगा। 

सेलेरॉन या ड्यूअल कोर या कोर-2 ड्यूओ (Celeron or Dual Core or Core-2 Duo) : 

कोर-2 डयूओ कई मायनों में सेलेरॉन और ड्यूअल कोर से बेहतर है, जैसे कोर-2 डूयूओ, ड्यूअल कोर की तुलना में 40 प्रतिशत कम बिजली का उपयोग करता है, जबकि काफी ज्यादा गति के साथ काम करता है।

सेलेरॉन शुरुआती कम्प्यूटर यूज़र्स के लिए ठीक है, जिन्हें कम्प्यूटर का प्रयोग सामान्य ऑफिस कार्यों के लिए करना है। पेंटियम ड्यूअल कोर सेलेरॉन से एडवांस है, जिसका प्रयोग एडवांस कम्प्यूटिंग के लिए किया जा सकता है,

जैसे 3डी एनिमेशन, ग्राफ़िक्स, वीडियो प्रोसेसिंग कार्य। कोर-2 ड्यूओ का विकास विशेष रूप से मोबाइल कम्प्यूटिंग यानी लैपटॉप के लिए किया गया है, ताकि उसकी बैटरी कम से कम खर्च हो।

इंटेल कोर (Intel Core) : 

इंटेल कोर प्रोसेसरों को व्यक्तिगत के साथ ही व्यापारिक प्रयोगों के लिए भी बनाया गया है। ये मल्टीकोर प्रोसेसर हैं, जिनमें 3, 5 और 7 कोर की संख्या को दर्शाता हैं।

आई3 में 2 कोर है, आई5 में 2 या 4 और आई7 में 2, 4 या 6 जितने अधिक कोर उतनी अधिक गति और उतना ही ज्यादा तेज़ कम्प्यूटर। हालाँकि ये प्रोसेसर उनके लिए ही बेहतर हैं, जो कम्प्यूटर पर भारी सॉफ्टवेयर्स का प्रयोग करते हैं। कम्प्यूटर के सामान्य प्रयोग के लिए इनकी आवश्यकता नहीं, क्योंकि इससे कम्प्यूटर का मूल्य ही बढ़ेगा।

 एटम और एएमडी (Atom & AMD) : 

एटम का प्रयोग केवल नोटबुक, टैबलेट और स्मार्टफोनस् में ही किया जाता है, क्योंकि इनकी क्षमता इंटेल की तुलना में कम होती है। एएमडी के सेम्प्रोन और एथलोन नियो सेलेरॉन के कैटेगरी के प्रोसेसर हैं, जबकि फेनोम और टूरियन कुछ बेहतर हैं। 

32 बिट या 64 बिट (32 Bit or 64 Bit) : 

64 बिट प्रोसेसर ज्यादा बेहतर माने जाते हैं, क्योंकि ये ज्यादा डाटा प्रोसेसिंग करते हैं। आपने इनमें 4 जीबी से ज्यादा रैम का प्रयोग कर सकते हैं और रैम का प्रयोग करते हुए कम्प्यूटर की गति भी बढ़ा सकते हैं।

हालाँकि अब भी ज्यादातर कम्प्यूटरों में 32 बिट प्रोसेसर का प्रयोग होता है, जिस वजह से 32 बिट सिस्टम के सॉफ्टवेयर आसानी से मिल जाते हैं, जबकि 64 बिट सिस्टम के सॉफ्टवेयर्स के लिए परेशान होना पड़ सकता है। इनके अतिरिक्त भी इंटेल कुछ प्रोसेसर प्रदान करता है, लेकिन उनका प्रयोग केवल सर्वर करना उचित होगा जैसे इंटेल जिऑन। 

स्टोरेज डिवाइस (Storage Devices)

 किसी कम्प्यूटर पर आप काम कैसे करेंगे अगर उसमें किसी डाटा को रखा ही जा सकता है, क्योंकिं यदि डाटा ही नहीं होगा, तो कम्प्यूटर गणनाएँ किसकी करेगा।

अत: आवश्यक है कि कम्प्यूटर में भले ही एक बिट का लेकिन कोई डाटा अवश्य हो। इसलिए कम्प्यूटर में स्टोरेज डिवाइस प्रदान किये गये हैं, जिनमें डाटा संगृहीत होते हैं और उनसे ही कम्प्यूटर डाटा लेकर सम्बन्धित गणनाएँ करता है।

स्टोरेज डिवाइस की आवश्यकता को आप एक साधारण उदाहरण से समझ सकते हैं। हम पूरे साल स्कूल में पढ़ाई करते हैं और नोट्स तैयार करते हैं, ताकि परीक्षा के दौरान उन्हें दोहराया जा सके।

परीक्षा के समय हम उन्हें दोहराते हैं और याद करते हैं। जब हम किसी भी चीज़ को देखते, सुनते या महसूस करते हैं या फिर किसी चीज को याद करते हैं,

तो वह हमारे दिमाग में मौजूद खरबों न्यूरॉन्स में स्टोर हो जाती है और जब भी हमें उन यादों की आवश्यकता होती है, तो वह हमें याद जाती है।

इनसान के दिमाग की यही विशेषता इसे ख़ास बनाती है, जिसके बिना मानव मस्तिष्क घातक बीमारियों से ग्रस्त माना जाता है। इनसानी दिमाग की तरह स्टोरेज डिवाइसों के द्वारा किये गये कार्य को भविष्य में भी सुरक्षित रखने की कम्प्यूटर की क्षमता इसे एक विशेष डिवाइस बनाती है।

कम्प्यूटर में दो प्रकार के स्टोरेज होते हैं, प्राथमिक स्टोरेज डिवाइस (Primary Storage)और द्वितीयक स्टोरेज डिवाइस (Secondary Storage) 

प्राथमिक स्टोरेज (Primary Storage) 

प्राथमिक स्टोरेजडिवाइस कम्प्यूटर के उन स्टोरेज डिवाइसों को कहते हैं, जहाँ प्रोसेसिंग के दौरान डाटा, सूचना और प्रोग्राम संगृहीत होते हैं और जहाँ से उन्हें आवश्यकता पड़ने पर तुरन्त एक्सेस किया जा सकता हैं। प्राथमिक स्टोरेज डिवाइस या मैमोरी भी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है

रैंडम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory) 

रैण्डम एक्सेस मेमोरी, जिसेरेमभी कहते हैं, कम्प्यूटर की अस्थायी मेमोरी है, जो किसी भी डाटा को कुछ ही समय के लिए स्टोर करती है।

आप जब कम्प्यूटर में कोई भी डाटा प्रविष्ट करते हैं, तो हार्ड डिस्क में स्थायी रूप से सेव (सुरक्षित) होने से पहले वह डाटा रैम में ही स्टोर रहता है।

यदि कम्प्यूटर को बन्द कर दिया जाता है या फिर वह किसी भी कारण से बन्द हो जाता है, तो रैम में स्टोर यह डाटा मिट जाता है।

इसी वजह से जब हम कम्प्यूटर में काम करते हुए कोई डाटा सेव (सुरक्षित) नहीं कर पाते हैं और कम्प्यूटर बन्द हो जाता है, तो वह डाटा हमें नहीं मिल पाता है। पर्सनल कम्प्यूटर में तीन प्रकार की रैम प्रयोग में लायी जाती है

डायनैमिक रैम (Dynamic RAM):

डायनैमिक रैम याडीरैमसबसे साधारण प्रकार की रैम है। यह रैम सबसे जल्दी रीफ्रेश होती है यानी इसमें सबसे जलदी विद्युत् आवेशित होती है। प्रत्येक रिफ्रैश के साथ इस रैम में संगृहीत पिछली विषयवस्तु मिट जाती है और नयी सगृहीत हो जाती है।

 सिंक्रोनस डीरैम (Synchronous D-RAM):

सिंक्रोनस डीरैम साधारण डीरैम से ज्यादा तेज़ होती है, जिस वजह से ज्यादा तेजी के साथ डाटा स्थानान्तरित करती है

स्टेटिक रैम (Static RAM): 

स्टेटिक रैम बहुत कम रिफ्रैश होता है, जिस वजह से इसमें डाटा ज्यादा देर तक संगृहीत रह पाता है। अपनी इस खूबी की वजह से यह रैम अन्य दोनों रैम को तुलना में महंगी होती है।

 रीड ओनली मेमोरी (Read Only Memory) 

रीड ओन्ली मेमोरीयारोमजिसमें कम्प्यूटर का निर्माण करते समय कूछ प्रोग्राम्स को संगृहीत किया जाता है।

रैम के विपरीत यह स्थायी मेमोरी है, क्योंकि कम्प्यूटर के रिस्टार्ट होने पर इसका डाटा नहीं मिटता है।

असल में इसमें संगृहीत डाटा को केवल पढ़ा जा सकता है, इसलिए इसे रीड ओन्ली मैमोरी कहते हैं। रोम निम्न लिखित प्रकार की होती हैं

प्रोग्रैमेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Programmable Read Only Memory or PROM): 

प्रोमरोम का वह प्रकार है, जिसमें आवश्यकता होने पर कुछ विशेष उपकरणों का प्रयोग करके प्रोग्राम को संगृहित किया जा सकता है। प्रोग्राम संगृहीत होने के बाद प्रोम से मिटाया नहीं जा सकता है। 

इरेजेबल प्रोग्रैमेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Erasable Programmable Read Only Memory or EPROM):

 इप्रोम में संगृहीत प्रोग्राम पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet Rays) की उपस्थिति में मिटाया जा सकता है। 

इलेबिक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रैमेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Electrical Erasable Programmable Read Only Memory or EPROM): 

इप्रोम में विद्युतीय विधियों से प्रोग्राम को मिटाया जा सकता है। 

कैश मेमोरी (Cache Memory)

 कैश मेमोरी सी.पी.यू. और रैम के मध्य स्थित उच्च गतिवाली मैमोरी है

इस मेमोरी में वे निर्देश संगृहित होते हैं जिनकी आवश्यकता कम्प्यूटर को बारबार पड़ती है। यह मेमोरी दो प्रकार की होती हैं, L1 और L2 

द्वितीयक स्टोरेज (Secondary Storage) 

प्राथमिक स्टोरेज सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का ही एक भाग है, जबकि द्वितीयक स्टोरेज को कम्प्यूटर में अपनी आवश्यकता अनुसार जोड़ा जाता है।

द्वितीयक स्टोरेज प्राथमिक स्टोरेज की तुलना में हजारों गुना ज्यादा डाटा संगृहीत कर सकता है।

मैग्नेटिक टेप, कार्ट्रिज़ टेप और मैग्नेटिक डिस्क द्वितीयक स्टोरेज के प्रकार हैं। कम्प्यूटर में अब प्रयोग की जाने वाली हार्ड डिस्क मैग्नेटिक डिस्क का ही एक प्रकार है। 

इनपुट डिवाइस (Input Device) 

जिस प्रकार से दुनिया में कोई भी कार्य किसी कारण के बिना नहीं होता, उसी प्रकार से कम्प्यूटर में कोई भी डाटा स्वत: ही स्टोर नहीं हो जाता, जब तक कि उसे कम्प्यूटर में इंसर्ट किया जाये।

कम्प्यूटर में डाटा प्रविष्ट करने का कार्य जिन उपकरणों के माध्यम से किया जाता है, उन्हें इनपुट डिवाइस (Input Device) कहते हैं।

इनपुट डिवाइस अपने प्रकार के आधार पर हमारे निर्देशों को सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुँचाते हैं और फिर उन पर कार्य होता है। कम्प्यूटर में मुख्य रूप से निम्न लिखित प्रकार के इनपुट डिवाइसों का प्रयोग किया जाता है

कीबोर्ड (Keyboard) 

कीबोर्ड कम्प्यूटर का टाइपराइटर है, जिसका प्रयोग करके विभिन्न भाषाओं के अक्षरों, अंकों और चिह्नों को कम्प्यूटर में इंसर्ट किया जाता है।

कीबोर्ड में लगभग 108 कुंजियाँ होती हैं, जो अलगअलग भागों में विभाजित होती हैं। जैसे अल्फाबेट और अंकों की अल्फान्यूमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric Keys), अंकों का न्यूमेरिक पैड (Numeric Pad), फंक्शन कुंजियाँ ((Function Keys), कूछ विशेष क्रार्य करने के लिए स्पेशल कुंजियाँ (Special Keys) और कर्सर को चलाने के लिए ऐरो कुंजियाँ (Arrow Key)

 माउस (Mouse) 

माउस को प्वाइटिंग मशीन भी कहा जा सकता है। माउस का प्रयोग कम्प्यूटर में विभिन्न लोकेशंसे का चयन करने के लिए किया जाता है।

कीबोर्ड का प्रयोग करके कम्प्यूटर में विभिन्न टेक्स्ट को इंसर्ट किया जाता है और माउस का प्रयोग ग्राफिक्स कमाडं या विकल्पों का चयन करने के लिए किया जाता है।माउस मुख्य रूप से पाँच काम करता है:

 क्लिकिंग (Clicking): सिंगल क्लिक किसी ऑब्जेक्ट का चयन करने के लिए किया जाता है। 

डबल क्लिक (Double Click): ऑब्जेक्ट को एक्सेस करने के लिए। 

दायाँ क्लिक (Right Click): शॉर्टकट मेन्यू ओपन करने के लिए, जिससे फाइल को ओपन, कट, कॉपी पेस्ट आदि किया जा सकता है। 

ड्रैगिंग (Dragging): किसी ऑब्जेक्ट को एक स्थान से दूसरे स्थान तक हटाने के लिए।

स्क्रॉलिंग (Scrolling): माउस के बीच में एक स्क्रॉल बटन होती है, जिसका प्रयोग ऑब्जेक्ट की सामग्री की ऊपरनीचे ले जाने के लिए किया जाता है। 

ट्रैककवाल (Track ball)

 माउस ही की तरह काम करने वाला एक और इनपुट डिवाइस होता है, जिसे ट्रैकबॉल (Trackball) कहते हैं।

माउस के विपरीत इसमें ऊपर की ओर एक ट्रैकबॉल और दो बटनें होती हैं। इसके अलावा ट्रैकबॉल को माउस की तरह घुमाने को आवश्यकता नहीं होती है, इसकी बॉल को ही घुमाना पड़ता है।

 स्कैनर (Scanner) 

किसी भी आकृति या चित्र को सीधे एक फाइल के रूप में कप्नयूटर में प्रविष्ट करने के लिए स्कैनर का प्रयोग किया जाता है।

स्कैनर का प्रयोग करके किसी भी चित्र, फोटोग्राफ, कॉपी, पुस्तक आदि को कम्प्यूटर में सेव (सुरक्षित) किया जा सकता है। स्कैनर के भी कई प्रकार है, जैसै

ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader or OMR): कागज पर पेंसिल या पेन के चिह्न को स्कैन वाला स्कैनर। 

ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (Optical Character Recognitionor OCR): इस तकनीक का प्रयोग छपे हुए टेक्स्ट के बीच के परस्पर अन्तर को समझने के लिए किया जाता है। 

मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकॉग्निशन (Magnetic Ink Character Recognition or MICR): इस विशेष स्कैनर का प्रयोग बैंकों में चेकों में दिये गये विशेष चुम्बकीय कैरेक्टर्स को पढ़ने के लिए किया जाता है। 

आउटपुट डिवाइस (Output Device)

कम्प्यूटर में इनपुट डिवाइस सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट में डाटा का इनपुट देते हैं और फिर डाटा की सम्बन्धित प्रोसेसिंग होती है।

डाटा की प्रोसेसिंग के बाद जो भी परिणाम प्राप्त होता है, उसे यूजर के समक्ष प्रदर्शित करने का कार्य करते हैंआउटपुट डिवाइस कम्प्यूटर में मुख्य रूप से निम्न लिखित आउटपुट डिवाइस उपयोग में लाये जाते हैं

मॉनीटर (Monitor)

 ‘मॉनीटरटेलीविजन की तरह दिखने वाला एक आउटपुट डिवाइस है, जो कम्प्यूटर के आउटपुट को स्क्रीन में प्रदर्शित करता है।

साधारण शब्दों में, ‘कम्प्यूटर मॉनीटरवह आउटपुट डिवाइस है, जो किसी भी डाटा के आउटपुट को एक स्क्रीन में पप्रदर्शित करता है। कम्प्यूटर मॉनीटर मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं

कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube or CRT)

 कैथोड रे टयूब मॉनीटर टेलीविजन की तरह दिखता है, जिसमें एक पिक्चर ट्यूब होती है। यह मॉनीटर रास्टर ग्राफिक्स के सिद्धान्त पर कार्य करता है।

इस मॉनीटर को समतल सतह में अन्दर की ओर फॉस्फोरस का लेपन होता है, जिसमें पड़ने वाले इलेक्ट्रानपुंज की वजह से प्रकाश उत्सर्जित होता है और पिक्सल्स चमकते हैं’ (पिक्सेल किसी भी डिस्प्ले डिवाइस का सबसे छोटा तत्व होता है,

जिनसे मिलकर ही इमेज का निर्माण होता है) किसी एक स्थान पर लगातार किरण पड़ने को वजह से फॉस्फोरस जल भी सकता है, इसलिए इलेक्ट्रानपुंज सतह पर ‘Z’ आकृति में चलता है।

इलेक्ट्रान की यह गति हीरास्टरकहलाता है। पिक्चर ट्यूब की दूसरी सतह जिसेनेक’ (Neck) कहते हैं, इलेक्ट्रान को चुम्बकीय क्षेत्र के नियन्त्रण में दिशा देते हुए भेजती है।

 फ्लैट पैनल मॉनीटर (Flat Panel Monitor) 

सी.आर.टो. मॉनीटर की तुलना में एक नयी डिस्प्ले तकनीक विकसित गयी, जो सी.आर.टी. से काफी कम स्थान ग्रहण करता है और कम ऊर्जा का भी प्रयोग करता है।

फ्लैट पैनल डिस्प्लेनामक इस तकनीक के मॉनीटर का प्रयोग अब मुख्य रूप से लैपटॉप में होता है और डेस्कटॉप में भी इनका काफी प्रयोग होने लगा है।

एफ.पी.डी. में द्रवीय क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display or LCD) तकनीक का प्रयोग होता है। यह तकनीक सी.आर.टी. की तुलना में कम रिजॉल्यूशन देती है, जिस वजह से इन मॉनीटर्स का आउटपुट सी.आर.टी. की तुलना में कम स्पष्ट होता है।

 प्रिन्टर (Printers) 

मॉनीटर भले ही सबसे ज्यादा उपयोगी आउटपुट डिवाइस हो लेकिन प्राप्त आउटपुट को केवल वही व्यक्ति देख सकता है, जो कम्प्यूटर के समक्ष उपस्थित हो।

अगर आउटपुट किसी ऐसे व्यक्ति के समक्ष उपस्थित करना हो जो कम्प्यूटर के सामने नहीं है, तो ऐसी स्थिति में प्रिन्टर काम आता है, जो दूसरा सबसे ज्यादा उपयोगी आउटपुट डिवाइस है।

मॉनीटर में दिखायी देने वाले आउटपुट कोसॉफ्टकॉपीकहते हैं। प्रिन्टर इसी सॉफ्टकॉपी को कागज पर प्रिन्ट करता है जिसे हार्डकॉपी कहते हैं। 

विस्तारण कार्ड (Expansion Cards)

कम्प्यूटर में कुछ कार्यों को पूर्ण करने के लिए कुछ विशेष विस्तारण कार्डस भी प्रदान किये जाते हैं, जिनका प्रयोग एक निर्धारित कार्य की पूर्ति करने के लिए ही किया जाता है।

वैसे तो ये विशेष कार्ड्स मदरबोर्ड में बिल्टइन मौजूद होते हैं, लेकिन आवश्यकतानुसार इन्हें अलग से भी मदरबोर्ड में जोड़ा जा सकता है। आपकी मदरबोर्ड में मुख्य रूप से निम्न लिखित कार्ड्स मौजूद होते हैं

वीडियो कार्ड (Video Card): यह कार्ड कम्प्यूटर में विभिन्न प्रकार के वीडियो आउटपुट्स की डिकोडिंग करके मॉनीटर में इमेज का निर्माण करता है और आउटपुट प्रदान करता है। 

साउण्ड कार्ड (Sound Card): यह कार्ड माइक्रोफोन से प्राप्त एनालॉग संकेतों को डिजिटल रूप में परिवर्तित करके कम्प्यूटर में सेव (सुरक्षित) करता है तथा कम्प्यूटर से प्राप्त डिजिटल संकेतों को एनालॉग रूप में परिवर्तित करके स्पीकर के माध्यम से आउटपुट प्रदान करता है। 

नेटवर्क कार्ड  (Network Card): नैटवर्क एडाप्टर, लैन एडाप्टर या नेटवर्क इण्टरफेस कार्ड के नाम से भी इसे पुकारा जाता है। नेटवर्क कार्ड वह माध्यम है, जिसेका प्रयोग करके कम्प्यूटर को लोकल एरिया नेटवर्क या इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है

कम्प्यूटरों के प्रकार (Types of Computer in Hindi) 

कम्प्यूटर को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है

  1. कार्यप्रणाली (Mechanism)
  2. उद्देश्य (Purpose) 
  3. आकार (Size)

 क्रार्यप्रणाली पर आधारित कम्प्यूटर (Computers based on Mechanism) 

कार्यप्रणाली के आधार पर कम्प्यूटर के निम्न लिखित प्रकार हैं

एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer in Hindi) 

एनालॉग कम्प्यूटर की श्रेणी में वे कम्प्यूटर आते हैं, जो परिवर्तनीय भौतिक मात्राओं के आधार पर परिणाम व्यक्त करते हैं। जैसे दाब, तापमान, लम्बाई आदि। ये कम्प्यूटर प्राय: गणना के स्थान पर तुलना करते हैं जैसे थर्मामीटर कोई गणना नहीं करता है,

बल्कि पारे के सम्बन्धित प्रसार की तुलना कर शरीर का तापमान बताता है। इस प्रकार के कम्प्यूटरों का विज्ञान और इंजीनियरिग के क्षेत्र में ख़ासा उपयोग है,

क्योंकि इस क्षेत्र में मात्राओं का अधिक उपयोग किया जाता है। इन कम्प्यूटर्स के परिणाम सदैव अनुमानित ही होते हैं। पारम्परिक तराजू को भी इसका एक अच्छा उदाहरण माना जा सकता है। 

डिजिटल क्मप्यूटर (Digital Computer in Hindi)

 इस श्रेणी में वे कम्प्यूटर आते हैं, जो गणना करते हैं। इन कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम अनुमानित नहीं होते हैं बल्कि शुद्ध होते हैं। उदाहरणस्वरूप,

आपने इन दिनों गाडियों में रहे इलेक्ट्रॉनिक ओडोमीटर को तो देखा ही होगा। पुराने ओडोमीटर्स की तुलना में ये शुद्ध परिणाम करते हैं कि कौनसी गाड़ी कितने किलोमीटर/मीटर चल चुकी है  

हायब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer in Hindi) 

एनालॉग और डिजिटल कम्प्यूटरों का मिलाजुला रूप है। हायब्रिड कम्प्यूटर। इस प्रकार के कम्प्यूटर्स का डिजिटल भाग तार्किक गणनाएँ करता है और परिणाम प्रदान करता है तथा नियन्त्रक के रूप में काम करता है, जबकि एनालॉग भाग समीकरणों में तुलना करके परिणाम प्रदर्शित करता है। 

उद्देश्य पर आधारित कम्प्यूटर (Computers based on Purpose) 

कम्प्यूटर को उनके उदेश्यों के आधार पर दो प्रकारों में बाँटा जाता है। 

सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर (General Purpose Computer in Hindi)

 वे कम्प्यूटर जिनका प्रयोग हम कई प्रकार के कार्यों में कर सकते हैं। इन कम्प्यूटरों का प्रयोग भले ही विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकता हो लेकिन अफिम हम इनका प्रयोग वर्ड प्रोसेसिंग, डेटाबेस प्रबंधन जैसे कार्यों के लिए ही करते हैं, जैसे हमारा डेस्कटॉप। इस प्रकार के कम्प्यूटरों की कीमत भी कम होती है। 

विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर (Special Purpose Computer in Hindi) 

विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर यानी वे कम्प्यूटर जिनका प्रयोग कूछ विशेष कार्यों को पूरा करने के लिए किया जाता है।

इस प्रकार के कम्प्यूटरों के सी.पी.यू. की क्षमता उनके कार्य के मुताबिक घटायी या बढ़ायी जाती है। कई बार इनके लिए अनेक सी.पी.यू. का प्रयोग भी किया जा सकता है।

इतने सब के बाद भी इनका प्रयोग केवल उस काम के लिए ही किया जा सकता है, जिसके लिए इन्हें बनाया गया है। जैसे, फ्लाइट सिम्यूलेटर जिसका प्रयोग पायलटों को ट्रेनिंग देने के लिए किया जाता है। 

आकार पर आधारित कम्प्यूटर(Computers based on Size) 

आकार के आधार पर कम्प्यूटर के निम्न लिखित प्रकार बताये गये हैं

माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer in Hindi)

 माइक्रो कम्प्यूटर्स का प्रयोग हम अपने जीवन में सबसे ज्यादा करते हैं। तकनीक की दुनिया में माइक्रो प्रोसेसर एक क्रान्तिकारी आविष्कार था,

जिसने कम्प्यूटर के आकार में सबसे ज्यादा परिवर्तन किये और उसे बड़ेबड़े कमरों से निकालकर हमारी मेज, गोद और हाथों तक में पहुँचा दिया।

माइक्रो प्रोसेसर ने कम्प्यूटर की कीमतों में इतनी भारी कमी लायी कि वह किसी लैब या कम्पनी तक ही सीमित नहीं रह गया, बल्कि व्यक्तिगत उपयोगों के लिए आमजनों तक भी पहुँच गया।

इसी वजह से इसे पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computer or PC) कहा जाने लगा। डेस्कटॉप, नोटबुक और लैपटॉप, पामटॉप, टेबलेट पीसी माइक्रो कम्प्यूटर के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। 

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वर्कस्टेशन (Workstation) 

वर्कस्टेशन को आप बड़ा माइक्रो कम्प्यूटर भी कह सकते हैं, क्योंकि यह आकार में तो माइक्रो कम्प्यूटर्स की तरह ही होता है, लेकिन उनसे ज्यादा शक्तिशाली होता है।

इस प्रकार के कम्प्यूटर का प्रयोग कुछ विशेष जटिल कार्यों को पूरा करने के लिए किया जाता है, जैसे एनिमेशन, वैज्ञानिक अनुसन्धान, इंजीनियरिंग आदि।

 मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer in Hindi) 

मल्टीयूजर माहौल के लिए विकसित किये गये सबसे छोटे कम्प्यूटर। इस प्रकार के कम्प्यूटर के द्वारा एक समय पर कई यूज़र्स (उपयोगकर्ता) एक साथ किसी मशीन का प्रयोग कर सकते हैं।

मिनी काम्यूटर आकार में वर्कस्टेशन से बड़े लेकिन मैनफ्रेम कम्प्यूटरों से बड़े होते हैं। मध्यम स्तर की ज्यादातर कम्पनियाँ इन कम्प्यूटरों का प्रयोग करती हैं, क्योंकि सभी , कर्मचारियों के लिए अलगअलग माइक्रो कम्यूटर खरीदने से खर्च बढ़ सकता है, जबकि इनमें कई संसाधनों का साझा प्रयोग किया जा सकता है। 

मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer in Hindi)

ये कम्प्यूटर आकार में बड़े होते हैं, जो आपको 1950 के दशक के कम्प्यूटरों की याद दिला सकते हैं। हालाँकि उन कम्प्यूटरों की तुलना में ये हजारों गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है।

इन कम्प्यूटरों का प्रयोग एक नियन्त्रित वातावरण में किया जाता है। ये कम्प्यूटर भी मल्टीयूजर वातावरण का समर्थन करते हैं, जिस वजह से एक बार में 100 से भी ज्यादा यूजर इसका प्रयोग कर सकते हैं।

 सुपर कम्प्यूटर (Super Computer in Hindi) 

कम्प्यूटर की सभी श्रेणियों में सबसे बड़े और तेज़ कम्प्यूटरों कोसुपर कम्प्यूटरकहते हैं। एक सुपर कम्प्यूटर अकेले जिस गति से कार्य कर सकता है,

उतनी तेजी से काम करने के लिए आपको 50 हजार या उससे भी ज्यादा कम्प्यूटरों का प्रयोग करना पड़ सकता है।

इस प्रकार के कम्प्यूटरों का प्रयोग प्राय: भारी मात्रा में की जाने वाली गणनाओं के लिए किया जाता है, जैसे मौसम की भविष्यवाणी करना या सैटेलाइट का प्रयोग करना।

इनका प्रयोग केवल वही अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियाँ ही कर सकती हैं, क्योंकि आकार में बड़े और शक्तिशाली होने के कारण इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा होती है।

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