If you searching for the best Romantic Poem in Hindi then you are in the right place. Here I’m sharing with you a unique Romantic Poem in Hindi which is really amazing and interesting I’m sure you will like it and appreciate it.
क्या बात है!! Romantic Poem in Hindi
बहुत अदब से मुस्कुरा रहे हो
लगता है अब दूर जा रहे हो महफ़िल–ए–राग में कुछ तो अलग धुन बना रहे हो लगता है अब दूर जा रहे हो
बड़े परवाने मिज़ाज है इन दिनों तुम्हारे इक अजीब सी खुशबू है, इर्द–गिर्द तुम्हारे
हवाओं का रुख़ भी कुछ बदला–बदला सा आंखों की हया में भी कुछ रजा सा है आरमां भी अब आसमां की बातें कर रहे है
क्या बात है!!
बहुत अदब से मुस्कुरा रहे है लगता है अब दूर जा रहे हो।।
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ख़्वाबों की बुरी आदत Romantic Poem in Hindi
ख्वाबों की एक बुरी आदत होती है कि अक्सर वो, हवा मे रहते है जमीनी हकीकत से जब वो टकराते है बिखरने लगते है
अगर मैं मेरे ख्वाबों कि बात कर तो, उसकी एक और बुरी आदत है
कि; वो उसके बिना आता ही नहीं है जबकि उसको भी मालूम है
कि वो सिर्फ; एक ख्वाब है। फिर क्यों हकीकत से टकराता है
उसकी यादों के बीच ले जाकर मुझे फिर तन्हा कर जाता है
कि मेरे ख्वाबों की एक बुरी आदत ये है की; वो सिर्फ उसके साथ ही आता है।।
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गांठ माले सी Romantic Poem in Hindi
शीतल ये हवायें
रूह को सुलझा देती है कमबख्त,क्यों मिले हम तुमसे रातों की नींद चुरा लेती है।।
सुबह का ना शाम का आना–जाना पता चलता है खुली आँखों मे तेरा चेहरा
इबादत की तरह,मुझसे मिलता है।। नज़दीकियाँ क्यों बढ़ गई
फ़ासलों के रहते हुए नज़रों का दोष है सारा धोखा दे ही गया;सबकुछ जानते हुए।।
सैकड़ों गलतफहमियाँ हो गई फिर भी टूटा ना यह रिश्ता
गांठ बंधी रह गई बिल्कुल मोती संग धागे की तरह।।
सर्दी की धूप Romantic Poem in Hindi
खुरदरी फर्श पर गिरी रौशनी कुछ पल में, हर पल कड़वे सच की तरह रुकी रहे,
हर पल काँच की चमक की तरह उजियारा लाए हर मन–मंदिर में पक की लौ की तरह कुछ पल में,
हर पल सर्दियों में अकड़े शरीर तेरी राह देख रहे है जैसे कोई मोर,
बादल का इस वसुधा पे, खेल तु अपना खेल थरथराते कठपुतले में जान दे दे कुछ पल में,
हर पल ममता की छाव की तरह कुछ पल में, हर पल।
किसे पता था Romantic Poem in Hindi
है तूफानों का जंजाल वो इश्क़ में हुए हलाल राब्ता राब्ता नशा उतरा
वो मेरा कातिल ठहरा गुल खिल गए, जहां उसे खिलना था
दिल मिल गए, जहां उन्हें मिलना था
एहतियातन हमनें भी पाँव रखे थे जमीन पे गिर ही गए, जहां हमें गिरना था
नजारे यूं बीत गए, जैसे उन्हें जल्दी थी घर जाने की वो ख़ुदा बन गए,
जैसे उन्हें जल्दी थी तराशे जाने की एक चोट हमनें भी मारी थी;
उनको तराशने के लिए किसे पता था, पत्थर को भी थी जल्दी, बिखर जाने की।।
लम्हा Romantic Poem in Hindi
सजती सँवरती है रात चाँद के इंतज़ार में शाम ढल ही नहीं रही सूरज के प्यार में
देख रही है हवा आसमां में हिलोरे लेकर लम्हा महसूस कर रही
इस यादगार पल में कुछ क्षण की देर है
अपने प्यार को पाने में पर कमबख्त, वह नहीं आ रही
छुप कर निहार रही अपने आशिक़ की तड़पन को
लाल दुपपटा सरक रहा है मिलने के इंतज़ार में देर हो रही है; चाँद के दीदार में।।
हैं ना! Romantic Poem in Hindi
जब खामोश आँखों से वो एक बूंद जो गिरती है सुर्ख होठों से वो जो लब झांकती है,
कि रूह जब सिर्फ रूह से बात करती है ना, उस वक़्त सिर्फ तेरी याद आती है,
कहते है, वक़्त कभी रुकता नहीं फिर क्यों,
तेरी यादों की शाम में अपने कदमों को रोक देती है ये जो मंजर होता है ना,
सिर्फ़ तेरी यादों का होता है, जो सिर्फ मेरी होती है जो सिर्फ मेरी होती है, हैं ना!
तुम कल्पना हो मेरी Romantic Poem in Hindi
तुम डाल – डाल, में पात – पात ; काश ! मधुर मिलन की बने सौगात।
तुम अक्षत – सा हो पवित्र , सौंदर्य का हो रूप चित्र।
आओ संग तुम्हारे ; समाज की हर बंदिशें तोड़ दूँ, हर रीत , हर रिवाज को , बस ना कहकर टाल दें।
संग तुम्हारे ; प्रेम की एक बाती बाल दूँ। प्रेम की एक बाती बाल दे …
नदी सी निश्छल नयन तुम्हारे , लबों पर सागर – सी चंचल लहरे,
मुखड़े पर हो सजते जैसे आकाशगंगा की तारे सारे।
निष्पक्ष , प्रतिबद्ध भावनाएं है, राम – सा धीर गंभीर है. है रसराज कन्हैया – सा;
हसमुख है बस श्याम सलोना सा।
तुम ही हो प्रेरणा मेरी, तुम ही हो साधना मेरी , दूर तो हो लेकिन ; तुम ही हो कल्पना मेरी।
तुम ही हो प्रेरणा मेरी, तुम ही हो साधना मेरी , दूर तो हो लेकिन ; तुम ही हो कल्पना मेरी।
पहली मुलाकात Romantic Poem in Hindi
हाँ !
वो कड़ी दहकती दोपहर थी, सन्नाटे में पिघली चौराहे थी,
कुछ ही कदमो में दूर खड़े , धूप में लिपटी तुम्हारी परछाई थी।
कदमो दूर खड़े ; उस रोज ही ; तुम्हारी पहली झलक पायी थी।
एक दुसरे से ही सहमे थे , साथियो संग मुँह फेरे थे,
शब्दों का उमड़ रहा सैलाब था, पर कुछ भी न बोले थे।
ह्रदय शीघ्रता से पिघल रहा था, मन बहुत आतुर था कहने को एक बात प्रिये,
की संग रहना जब तक हो श्वास प्रिये।
जग छोड़े साथ भले अकेला न तुम छोड़ना प्रिये।
मन – मृदुल में इस कदर बसना, की टूटे न डोर ; जब तक हो श्वास प्रिये।
उस वक़्त; दिल में अलग ही हरकत हुई, जुबान लड़खड़ाई, हाथ कापे,
निगाहे ही बदल गयी, देह मानो जैसे शून्य सी हो गयी, तुम बिस्तृत और ,
संसार संझिप्त हो गयी। る, चंद मिनटों की एहसास ही दैविक थी,
सारी शोरगुल सन्नाटे में छिप रही थी, सन – सन बह रही बयार थी,
झुकी पलके , और साँसों की उलझी – उलझी डोर थी।
हाँ ! वही पहली मुलाकात थी। हली मुलाकात थी।
कल्पना Romantic Poem in Hindi
फिर बनी कहानी सारी मिलन की लेख ही न थी जिसमे मेरी – तुम्हारी।
गत वर्षों तक दूर ही रहे, फिर भी जन – जन की आँखों में चढ़े रहे।
कभी मिले नहीं, पर दिल के डोर इतने पक्के थे कि कभी टूटे नहीं।
हर बातों में लड़कपन थी हमारी मेरी हर साथ में छवि थी तुम्हारी,
अनुभवों की दुनिया में ही बसे थे, क्यूंकि मिलकर खोने से डरते थे।
धीरे – धीरे ; खुशियों से भरी एक दुनियां बसाई, हमारे रहने की हमने जिसमे जगह बनाई।
भले ही काल्पनिक था, पर पवित्र कैलाश सा था।
न छल, न कपट था जिसमे, मनमोहित तुम्हारा प्रतिरूप था उसमे , हाँ !
उसी दुनिया में, मेरी हर घडी की मुस्कान छुपाये ; मानवीय करुणा की दिव्य चमक थी तुममे।
न चिंता थी , न फ़िक्र थी, कुछ खास नहीं थी 3 बस अनोखी एक दुनिया थी,
सीधा – सरल जीवन जहा थी। कहते सुनते ही दिन बीतते ,
धीरे – धीरे जीवन के बीज सींचते। होठो पर मुस्कान ,
मन में विश्वास लिए।, हर कदम पर सहारा बनते।
प्रेरणा तुम मेरी बनते , ख्वाबो के सागर में संग डूबते ,
दूर हमेशा रहकर भी, एक दूसरे का साथ पाते।
तुम ही हो प्रेरणा मेरी , तुम ही हो साधना मेरी
पहला – पत्र Romantic Poem in Hindi
लफ्जों के मोती को पन्नो में पिरोह कर , खूब हिम्मत जुटाकर
भेजी हूँ तुम्हे ; पहला पत्र मेरा स्नेह भरा। कुछ शब्दों में अपना स्नेह भेजी हूँ,
चंद पंक्तियों में अपने एहसास लिखी हूँ, सब – से छुपते छुपाते,
पहली बार भेजी हूँ ; पहला पत्र मेरा स्नेह भरा। पूरा न सही,
पर थोड़ा ही पढ़ना, बदले में तुम भी स्नेह भेजना, खूब हिम्मत जुटाकर ,
भेजी हूँ तुम्हे ; पहला पत्र मेरा स्नेह भरा।
जब भी तुम्हारा फ़ोन आता Romantic Poem in Hindi
लिए धुंधली नजर , सन्देश पढ़ते तुम्हारा बेखबर दिल अचानक ही धड़क जाता जब तुम्हारा फ़ोन आता। भी
तारे भी नगमे गुनगुनाती, बंद कमरे में लहर दौड़ जाती, जुबां अइठलाती ,
कभी थिरकती, अकेलेपन में साथ का एहसास हो आता, जब भी तुम्हारा फ़ोन आता।
बिन सोचे जुबां कितना कुछ बोल जाती , बरसो की चुप्पी ; एक पल में है टूट जाती ,
शब्दों का भण्डार बिखर जाता, जब भी तुम्हारा फ़ोन आता।
एहसासो की डोर ; शब्दों से है बंध जाती, तुम्हारे अल्फाज ;
पुरे रूह में है समां जाती , कहते – कहते वक़्त यूँ बीत जाता है, जब भी तुम्हारा फ़ोन आता है।
खोने का डर Romantic Poem in Hindi
धीरे धीरे कई सपने बुनते गए, ताउम्र साथ निभाने का वादा करते गए,
अनकही पहेलियों को सुलझाने में, समाज का डर ही भूलते चले गए।
भूल गए समाज की बंदिशें, धर्मों के बीच की रुकावटे जन – जन की उलाहने ,
और इंसानो की ही बनायीं 3 पक्षपात की दीवारे।
सब भूलकर; छोटी मुस्कान में मदमस्त थे, कहते कुछ न थे पर डरते मन ही मन थे।
खोने का डर ; आंसू संग बहता।
राधा न बनी घनश्याम की , पर जग संग उन्हें ही पूजता,
इसी आस में दिल फिर मचल उठता , रोते – रोते मुस्कान छा जाती,
सावन में फिर अश्को की बरसात हो आती।
अकेलापन Romantic Poem in Hindi
जिंदगी भी न जाने क्यों ये मोड़ लेती है, किसी अनजाने को भी अपना बना देती है,
फिर दोराहे पर आकर धोखा कर देती है , उस अपने को फिर से अनजाना बना देती है।
फिर भीगी पलकों से इंतजार करवाती है, चाँद – तारो में रूप दिखलाती है, जुबान पर एक ही नाम दोहराती है,
और तरसी निगाहो से यादों की नयी दुनिया बसाती है।
ख़ामोशी की एक नयी भाषा सीख ली जाती है, आंसू की अनगिनत बूंदो में,
आकाश सिमट कर रह जाता है, ओस की बूंद में अनजाने का एहसास हो आता है,
सुबह के उजाले में फिर घनघोर अँधेरा छा जाता है। सभी के साथ होते हुए भी,
अकेलेपन का एहसास हो जाता है।
काश ! ये वक्त कुछ देर ठहर जाता Romantic Poem in Hindi
काश ! ये वक़्त कुछ देर ठहर जाता, काश ! तू मेरे पास कुछ देर और रुक जाता, ,
तो देख लेती तुझको कुछ देर और , भर कर अपनी निगाहो में,
छिपा लेती अपने दिल में , मिलकर तू मेरी साँसों से ;
बन जाता तू मेरी धड़कन, काश ! वो वक़्त कुछ देर और ठहर जाता
तो बन जाता तू मेरा जीवन।
कुछ कहना था Romantic Poem in Hindi
कुछ कहना था मुझे तुमसे, पर कह न पायी
कुछ पल और साथ रहने थे मुझे तुम्हारे, कुछ खुशियों के पल बाटने थे साथ तुम्हारे,
थोड़ी देर और हसना था साथ मिलकर तुम्हारे,
कुछ कहना था मुझे तुमसे , तुम्हारे बारे,
तुम्हे और समझनी थी मुझे , तुम्हारी बातें सुननी थी मुझे,
तुमसे और रूठना था मुझे, तुम्हे कुछ देर और चिढाना था मुझे।
कुछ कहना था मुझे तुमसे।, पर कह न पायी …
लौट आओ तुम वैसे , जैसे बारिश हर वर्ष आता है,
लौट आओ तुम वापस वैसे, जैसे सावनी झूले वापस आते है।
कुछ कहना था मुझे तुमसे , सुनने पूरी बात मेरी, लौट आओ तुम सर्वोपरि।
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