Best 15+ Unique Rabindranath Tagore Poems in Hindi

 

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1.तुमने मुझे अनंत बना दिया Rabindranath Tagore Poems in Hindi

तुमने मुझे अनंत बना दिया यह तुम्हारी ही इच्छा है कि तुमने मुझे अनंत बना दिया।

इस कमजोर पात्र को बारबार खाली करते हो, और फिर नया स्फूर्तिपूर्ण जीवन देते हो।

एक छोटी सी नरकुल की बाँसुरी पहाड़ियों और घाटियों में लेकर जाते हो,

और उसमें नया शाश्वत संगीत भर देते हो। तुम्हारे हाथ के अमरत्व स्पर्श से,

मेरे छोटे से हृदय की आनंद की सीमा नहीं रहती, और अकथनीय शब्द झरने लगते हैं।

तुम्हारे अपरिमित उपहार केवल मेरे इन बहुत छोटे हाथों में आते हैं।

युग पर युग बीत जाते, फिर भी तुम देते जाते हो, और अभी भी रिक्त हैंभरने को।

  1. जब तुम मुझे गाने का आदेश देते हो Rabindranath Tagore Poems in Hindi

जब तुम मुझे गाने का आदेश देते हो

तो लगता है मेरा हृदय गर्व से टूट जाएगा और मैं तुम्हारे मुख की तरफ देखता हूँ तो नेत्रों से आँसू बहने लगते हैं।

जो भी मेरे जीवन में कटुता एवं कर्कशता है वह एक मधुर शांति में पिघल जाती है और उस प्रसन्न पक्षी,

जो कि समुद्र के ऊपर उड़ रहा होता है, की तरह मेरी आराधना अपने पंख फैला देती है।

मैं जानता हूँ कि तुमको मेरे गाने में आनंद आता है। मैं जानता हूँ कि मैं एक गायक के रूप में ही तुम्हारे सामने आता हूँ।

मैं मेरे गीत के विशाल पंख के कोने से ही तुम्हारे चरण छू पाता हूँ जिनको छूने की मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता।

अपने गीतों की खुशी में डूबा मैं स्वयं को भूल गया और तुमको मित्र कह बैठा जबकि तुम मेरे स्वामी हो।

  1. मेरे स्वामी, मैं नहीं जानता Rabindranath Tagore Poems in Hindi

मेरे स्वामी, मैं नहीं जानता तुम कैसे गाते हो? मैं तो हमेशा शांत विस्मय में ही सुनता हूँ

तुम्हारे संगीत का आलोक सारे विश्व को आलोकित करता है।

तुम्हारे संगीत की जीवनधारा आकाश से आकाश तक बह निकलती है।

सारी शिलाओं की अड़चनों को तोड़ते हुए बह निकलती है।

तुम्हारे संगीत की प्रवित्र धारा मेरा हृदय तुम्हारे संगीत से मिलने के लिए आतुर रहता है,

परंतु व्यर्थ में ही स्वर के लिए संघर्ष करता है। मेरे स्वर निकलेंगे,

परंतु स्वर से संगीत नहीं निकलता, और मैं घबराकर रो उठता हूँ।

ओह! मेरे स्वामी, तुमने अपने संगीत के असीमित जाल में मेरे हृदय को बंदी बना दिया है।

  1. मेरे प्राणों के प्राण Rabindranath Tagore Poems in Hindi

मेरे प्राणों के प्राण, मैं अपनी देह को पवित्र रखने का सदैव प्रयास करूँगा,

यह जानते हुए कि तुम्हारा सचेत स्पर्श मेरे सारे अंगों पर है।

मैं असत्य को अपने विचारों से परे रखने का सदैव प्रयास करूँगा,

यह जानते हुए कि तुम वह सत्य हो, जिसने मेरे मन में विवेक के प्रकाश को जाग्रत् किया है।

मैं अपने हृदय से सारे अनिष्ट निकालने का सदैव प्रयास करूँगा

और अपने प्रेम को पुष्प में रखूँगा, यह जानते हुए कि तुम्हारा सिंहासन मेरे हृदय के गुप्त मंदिर में है।

और यह मेरा प्रयत्न होगा कि मेरे कार्यों में तुम प्रगट हो, यह जानते हुए कि यह तुम्हारी ही शक्ति है

जो मुझे कार्य करने का सामर्थ्य देती है।

  1. एक पल का समय दे दो Rabindranath Tagore Poems in Hindi

एक पल का समय दे दो, ताकि बैठ सकूँ तुम्हारे पास। काम तो मुझे कई करने हैं, परंतु मैं उन्हें कर लूँगा बाद।

तुम्हारी शक्ल नहीं दिखती, हृदय को विश्राम मिलता नहीं शांति, मेरे कार्य सीमारहित सागर में बन जाते असीमित नीरस भाँति।

आज मेरी खिड़की में सूर्य की किरणें शांत गुनगुनाती पहुंची हैं फूलों के उपवन में मधुमक्खियाँ विनोद कर रही प्रभु के गीत गाती हैं,

अब समय आया है शांति से बैठ तुम्हारे साथ, आमनेसामने, और इस शांत एवं असीमित विश्राम में गीत गाएँ जीवन के, समर्पण के।

  1. इस छोटे फूल को तोड़कर ले लो Rabindranath Tagore Poems in Hindi

इस छोटे फूल को तोड़कर ले लो, विलंब करो! मुझे भय है कि कहीं यह मुरझाकर धूप में नहीं गिर जाए।

कहीं यह तुम्हारी माला में नहीं गूँथ पाए, अपने हाथ से कष्ट करके इसे छूकर आदर करो और इसे तोड़ लो।

मुझे भय है कि मुझे पता चले, इसके पहले दिन समाप्त हो जाए और पूजा का समय निकल जाए।

यद्यपि इसका रंग गहरा नहीं है और गंध भी मंद है, परंतु समय होते इसको तोड़ लो और तुम्हारी सेवा में इसे डाल दो।

  1. उसने मेरे संगीत से Rabindranath Tagore Poems in Hindi

उसने मेरे संगीत से अपनी सजावट को उतार दिया है। उसको अपने वस्त्र का और अलंकार करने का गर्व नहीं है।

आभूषण हमारे संयोग को नष्ट कर देंगे, वह तुम्हारे और मेरे बीच में आएंगे, उनकी झंकार तुम्हारे शांत बोल को डुबो देगी।

तुम्हारी दृष्टि के सामने मुझ कवि का गर्व लज्जा से मर जाता है। ओह! सर्वश्रेष्ठ कवि, मैं तो तुम्हारे चरणों में बैठ गया हूँ।

मुझे केवल अपने जीवन को सादा और सरल बनाने दो, एक नरकुल की बाँसुरी की तरह जिसको तुम अपने ही संगीत से भर देते हो।

  1. वह बालक Rabindranath Tagore Poems in Hindi

वह बालक जिसने राजकुमार के वस्त्र पहन रखे हैं और जिसने गले में रत्नजढ़ित माला पहन रखी है,

वह अपनी क्रीडा का सारा आनंद खो देता है; उसके वस्त्र हर कदम पर बाधा डालते हैं।

इस डर से कि वह घिस जाएँगे या मिट्टी से मैले हो जाएंगे, वह अपने आपको संसार से दूर रखता है और वह हिलने से भी डरता है।

माँ, तुम्हारे द्वारा सभ्यता में बाँध के रखने से कोई लाभ नहीं है, यदि यह किसी को पृथ्वी की स्वास्थ्यपूर्ण मिट्टी से अलग रखें,

यदि यह किसी को उसके जनसाधारण के मेले में प्रवेश करने से वंचित रखे।

  1. अपने ही कंधों पर Rabindranath Tagore Poems in Hindi

मूर्ख, अपने ही कंधों पर ले जाने की कोशिश कर रहे हो!

भिखारी, अपने ही दरवाजे पर भिक्षा माँग रहे हो!

सारा बोझ उसके हाथों में छोड़ दो जो इसे सह सकता हो, और प्रायश्चित्त में पीछे मुड़कर देखो।

तुम अपनी इच्छानुसार दीपक को एकदम बुझा देते हो, जिसे अपनी श्वास से छूते हो।

गंदे हाथों से उपहार लो यह अपवित्र है। वहीं स्वीकार करो जो कि पवित्र प्रेम से दिया गया हो।

  1. यहाँ पर तुम्हारा पायदान है Rabindranath Tagore Poems in Hindi

यहाँ पर तुम्हारा पायदान है और वहाँ पर तुम पैर रखते हो जहाँ पर निर्धन से निर्धन, निष्फल और दीन रहते हैं।

जब मैं तुम्हें प्रणाम करने का प्रयास करता हूँ, मेरा नमन उस गहराई तक नहीं पहुंच पाता जहाँ पर तुम्हारे पैर निर्धन से निर्धन, निष्फल और दीन लोगों के बीच रहते हैं।

जहाँ तुम निर्धन से निर्धन, निष्फल और दीन लोगों के बीच विनम्र लोगों के वस्त्रों में चलते हो, वहाँ अहंकार कभी नहीं पहुँच सकता।

मेरा हृदय वहाँ कभी नहीं पहुंच सकता जहाँ तुम निर्धन से निर्धन, निष्फल, और दीन, सहचर रहित लोगों के साथ रहते हो।

  1. यह मंत्रोच्चारण Rabindranath Tagore Poems in Hindi

यह मंत्रोच्चारण और गीत और माला जपना छोड़ दो!

इस एकांत अँधेरे में सारे द्वार बंद कर तुम किसकी पूजा कर रहे हो?

अपने नेत्र खोलो और देखो भगवान तुम्हारे सामने नहीं है!

वह तो वहाँ है जहाँ पर कृषक कठोर जमीन पर हल चला रहा है, और जहाँ पर श्रमिक पत्थर तोड़ रहा है।

वह उनके साथ धूप और वर्षा में है और उसके वस्त्र मिट्टी से सने हुए हैं।

अपने साधु का आवरण फेंक दो और उसकी तरह इस मिट्टी भरी भूमि में जाओ!

मुक्तिमुक्ति कहाँ मिलती है? हमारे स्वामी ने स्वयं हर्षपूर्वक सृष्टि के बंधन अपने ऊपर ले लिये हैं,

वह तो हमारे साथ सदा के लिए बँध गए हैं।

मनन से बाहर निकलो और फूलों को और धूपबत्ती को छोड़ दो!

यदि तुम्हारे कपड़े चिथड़े और गंदे हो जाते हैं, तो क्या बुराई है?

उससे मिलो और श्रम में उसके साथ खड़े होओ, ललाट पर पसीना लिये हुए. (Rabindranath Tagore Poems in Hindi)

  1. मेरी यात्रा लंबी है Rabindranath Tagore Poems in Hindi

मेरी यात्रा लंबी है और मुझे यात्रा करने में समय लगता है। प्रकाश की पहली किरण में रथ से बाहर निकल आया,

और कई सितारों और ग्रहों से अपनी राह छोड़कर बीहड़ संसार में से अपनी यात्रा अविरल रखी।

यह एक बहुत दूर का रास्ता है जो तुम्हारे सबसे पास तक आता है,

और अभ्यास भी अति जटिल है जो कि धुन की चरम सरलता तक ले जाता है।

यात्री को अपने द्वार तक पहुँचने के लिए, प्रत्येक अन्य द्वार पर दस्तक देनी पड़ती है,

और अंत में उसे आंतरिक मंदिर तक पहुँचने के लिए कई बाहरी संसार में भ्रमण करना पड़ता है।

इससे पहले कि मैं नेत्र बंद करना मेरे नेत्रों ने बहुत दूर और विस्तारपूर्वक विचरण किया, और कहातुम यहाँ हो!

मेरा यह प्रश्न और चिल्लाहटओह! कहाँ होआँसुओं की सहस्र धाराओं में पिघल गया और आश्वासनों की बाढ़ में किमैं हूँ संसार को विह्वल कर दिया। (Rabindranath Tagore Poems in Hindi)

  1. मैं जो गाना गाने आया Rabindranath Tagore Poems in Hindi

मैं जो गाना गाने आया था वह आज तक नहीं गा सका। मैंने वाद्य में तार लगाने और खोलने में कई दिन लगा दिए।

ताल सही नहीं बैठ रही है और सुर ठीक से व्यवस्थित नहीं हो रहे केवल मेरे हृदय में आशा की वेदना है।

कली नहीं खिली है केवल पवन सिसकती चल रही है। तो मैंने उनका मुख देखा है ही मैंने उनके स्वर सुने हैं,

मैंने तो केवल अपने मकान के सामने के मार्ग पर से उनके मंद पदचाप सुने हैं।

सारा दिन फर्श पर उनके लिए आसन बिछाने में व्यतीत हो गया, परंतु दीपक भी नहीं जला है,

और मैं उनको अपने गृह में आने को नहीं कह सकता। मैं उनसे मिलने की आशा में जी रहा हूँ,

परंतु यह मिलन अभी तक हुआ नहीं है।

  1. मेरी इच्छा कई हैं Rabindranath Tagore Poems in Hindi

मेरी इच्छा अनेक हैं और मेरी वेदना  दयनीय है, परंतु उनसे मुझे वंचित कर तुमने मेरी विपदा से रक्षा की

और एक दृढ़ कृपा मेरे जीवन में पूर्णतया सुघटित कर दी है।

मुझे अत्यधिक इच्छाओं के संकट से बचाते हुए, तुम मुझे दिनप्रतिदिन सरल,

उत्कृष्ट उपहार के योग्य बना रहे हो, जो तुम मुझे बिना माँगे देते हो यह आकाश

और यह प्रकाश, यह देह और यह जीवन, और यह मस्तिष्क।

कुछ समय होता है जब मैं निस्तेज घूमता रहता हूँ और जब मैं उठ जाता हूँ

तो अपने लक्ष्य को ढूँढ़ने की जल्दी करता हूँ,

परंतु तुम जो निठुर होकर दिनप्रतिदिन तुम मुझे अस्वीकृतों द्वारा,

मेरे सामने से हट जाते हो। मेरी अवांछित दुर्बल इच्छाओं

के संकट से रक्षा करते हुए, मुझे पूर्ण स्वीकार के योग्य बना रहे हो।

  1. तुम्हें गीत सुनने के लिए Rabindranath Tagore Poems in Hindi

तुम्हें गीत सुनने के लिए मैं यहाँ पर हूँ इस सभाभवन में मैं एक कोने में बैठा हूँ तुम्हारे संसार में मुझे कोई कार्य नहीं है,

मेरा व्यर्थ जीवन बिना प्रयोजन के केवल धुन से बेधुन हो सकता है।

जब अर्द्धरात्रि को अँधेरे मंदिर में शांत पूजा करने का समय आया है, मेरे स्वामी,

मुझे आदेश दो कि मैं तुम्हारे सामने गीत गाने को खड़ा होऊँ।

जब प्रातः की पवन में स्वर्ण वीणा के स्वर निकलें तो मुझे उपस्थित रहने का आदेश दें।

  1. बादलों के ऊपर बादल Rabindranath Tagore Poems in Hindi

बादलों के ऊपर बादल रहे हैं और अँधेरा हो गया है।

ओह, प्रियतम तुम मुझे बाहर द्वार पर अकेले क्यों नहीं प्रतीक्षा करने देते?

दोपहर में काम के प्रवाह में व्यस्त क्षणों में मैं भीड़ के साथ होता हूँ,

परंतु इस अँधेरे के एकांत समय में मैं सिर्फ तुम्हारी आशा करता हूँ।

यदि तुम मुझे अपना चेहरा नहीं दिखाओगे, यदि तुम मुझे बिलकुल एक तरफ छोड़ दोगे,

मैं नहीं जानता कि मैं किस प्रकार वर्षा के लंबे घंटे व्यतीत करूँगा।

मैं आकाश के अँधेरे में दूरदूर तक घूरकर देखता रहता हूँ,

और मेरा हृदय बिलखबिलखकर अशांत पवन के साथ भटकता रहता है।

  1. यदि तुम नहीं बोलोगे Rabindranath Tagore Poems in Hindi

यदि तुम नहीं बोलोगे तो मैं अपने हृदय में तुम्हारे मौन को समा लूंगा और सहन करता रहूँगा।

मैं शांत रहूँगा और उस रात्रि की भाँति प्रतीक्षा करूँगा जो कि तारों को प्रज्वलित कर

और धैर्य से अवनत होकर प्रतीक्षा करती है। प्रातः अवश्य आएगी, अंधकार लुप्त हो जाएगा,

और तुम्हारे स्वर आसमान को चीरते हुए स्वर्णरुपी झरनों की तरह बह निकलेंगे।

तब तुम्हारे स्वर मेरे प्रत्येक पक्षी के नीड़ के संगीत से उड़ान लेंगे और तुम्हारा सुरीला संगीत मेरे उपवन

के पुष्पों को प्रस्फुटित कर फैल जाएगा।

  1. जिस दिन कमल खिले Rabindranath Tagore Poems in Hindi

जिस दिन कमल खिले, हाय! मेरा मस्तिष्क कहीं विचरण कर रहा था, और मुझे इसका ज्ञान ही नहीं हुआ।

मेरी नौकरी रिक्त थी और मेरे फूल असावधानी से पड़े रहे।

केवल अब समयसमय पर मैं उदास हो जाता हूँ, और स्वप्न से उठा हूँ और दक्षिणी हवा से मधुर सूक्ष्म अनूठी सुगंध अनुभव कर रहा हूँ।

उस धुंधली मधुरता से मेरा हृदय उत्कंठा से पीड़ित हो उठा और मुझे ऐसा लगा कि ग्रीष्म ऋतु में उत्सुक श्वास अपनी पूर्णता पाने के लिए व्यग्र हो रही थी।

मुझे पता नहीं था कि यह इतने समीप थी, यह कि यह मेरी थी और यह पूर्ण मधुरता मेरे अपने हृदय की गहराई में खिल उठी थी।

  1. मुझे नौकाविहार Rabindranath Tagore Poems in Hindi

मुझे नौकाविहार करना चाहिए। यह निस्तेज समय तट पर से गुजर रहा है ओह, मेरी व्यथा!

वसंत ऋतु ने पुष्प खिला दिए और चली गई। और अब मैं इन विवरण निरर्थक पुष्पों के बोझ में प्रतीक्षा कर रहा हूँ और समय बिता रहा हूँ।

लहरें कोलाहलपूर्ण हो गई हैं और तट पर एक छायादार मार्ग पर पीली पत्तियाँ फड़ फड़ाती हैं और गिर जाती हैं।

किस शून्य को तुम एकाग्रता से देख रहे हो? क्या तुम उस रोमांच का अनुभव नहीं कर रहे जो कि बहुत दूर से गीत के स्वरों से दूसरे तट से बहती हुई पवन में से गुजर रहा है?

  1. वर्षायुक्त जुलाई के गहरे अँधेरे में Rabindranath Tagore Poems in Hindi

वर्षायुक्त जुलाई के गहरे अँधेरे में, दर्शकों से बचते हुए, तुम गुप्त कदमों से चलते होशांत रात्रि के समान।

आज प्रातः ने पूर्वी पवन की कोलाहल पूर्ण, आग्रह पूर्ण अधिकार की अवेहलना करते हुए आँखें बंद कर लीं और हमेशा सचेत नीले आकाश के ऊपर भारी आवरण डाल दिया है।

वनस्थली ने अपने गीत बंद कर दिए हैं और प्रत्येक गृह के द्वार बंद हो गए हैं। इस वीरान पथ पर तुम अकेले पथिक हो।

ओह! मेरे एक मात्र एकाकी मित्र, मेरे अत्यधिक प्रेमी, मेरे गृह के द्वार खुले हैं, एक स्वप्न की तरह मत चले जाना।

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