Best 61+ Unique Hindi Poem for Class 2 Competition 2021

 

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New Hindi poem for class 2 competition

मेंहंदी हाथों की लकीरों पर और कई लकीरें कलाकारी करती घूमती जाती लकीरें सुख जाता जब हाथ का रंग देखने वाला हो जाता दंग

आईना तेरा चेहरा मेरा चेहरा सबको दिखाता आईना तुम सही,तुम गलत सबको दिखाता आईना हो उदास,तो उदास खुशी में खुशी सबको दिखाता आईना

पपीता हरे हरे पपीते का रंग देखो यारो अंदर काटो हरा,बाहर देखो हरा पीले पीले पपीते का रंग देखो यारो अंदर काटो पीला,बाहर देखो पीला

आम फलों का राजा आम गर्मी में आम ही आम रसभरी गुलाब जामुन सब आम ही आम आम का अचार आम की मिठाई हर तरफ आम ही आम पेड़ पर लटका बाजार में फैला हर तरफ आम ही आम

Latest Hindi poem for class 2 competition

केला हरा भी पीला भी केला मिलता है कभी पूजा थाल में, कभी मुंह में घुलता है कभी प्रसाद में, कभी खाना के टेबल पर मिलता है

बाजार बड़ी अनोखी दुनिया है बाजार सारा जग करता व्यापार पहले पहचानो आचार विचार फिर जाना बाजार पॉकेट बड़ा हो या छोटा सबको निगल जाता बाजार बाजार भी जीवन है, कभी सुख, कभी गम देता बाजार

पार्टी आज हंसी खुशी का दिन है सब मिलकर हसेंगे गाएंगे पकवान मिठाई का लुत्फ उठाएंगे भूल के सबकुछ अपना नाचेंगे और शोर मचाएंगे

दावत वह आए हमारे घर वह बुलाए अपने घर खुशियां ऐसे ही जाए इधर से उधर बनी रहे खुशियां यूं ही इस घर और उस घर

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Amazing Hindi poem for class 2 competition

जन्मदिन आज एक साल और बढ़ा अपने सारे मुस्काते हैं प्यार से गले लगाते हैं हाथ में उपहार थमाते हैं कटे केक से पहला केक सब मुझे खिलाते हैं दोस्त यार तो सब साथ में घर के बड़े मुस्काते हैं

आंसू आंसू निकलता है निकलने दे दिल पिघलता है पिघलने दे यूँ आंसू तो अच्छा नहीं होता बिना रोए दिल सच्चा नहीं होता आता है तुम्हें रोना तो रो ले दिल होता है हल्का जी भर के रो ले

चिड़ियाघर पिंजरे के पीछे शेर बाड़े में बैठा हाथी आज दोनों चिड़ियाघर में बना है एक दूसरे का साथी बंदर करता उछल कूद सांप फिसलता जाता है बाघ दहाड़ता बारे में जिराफ के मुंह में आइसक्रीम पिघलता है पिंजरे में बंद चिड़िया की चू चू अपना राग सुनाती है कैद में पड़ी खुल कर नहीं गाती है

चूड़ी रंग बिरंगे छल्लों में कभी दाएं कभी बाएं फिसलती फिर कलाई पर बलखाती हो छोटी या बड़ी सबके मन को हर्षाती

Unique Hindi poem for class 2 competition

गुड़िया मैं भी जिद्दी मेरी गुड़िया भी जिद्दी दोनों साथ में रहते हैं अपने मन की बात हमदोनों नहीं किसी से कहते हैं

मछली कभी उछलती, कभी तैरती पानी में रहती जिंदा या मर जाती पानी में नदी किनारे लगाया था हाथ उसे हमने भी अपनी नादानी में थोड़ी शरमाई और भाग गई मुझे छोड़ किनारे पर और वह पानी में

मेंढक बारिश में आता मेंढक टर टर शोर मचाता मेंढक हो तालाब या सड़क का कीचड़ हर जगह मिल जाता मेंढक

गेंद गोल आकार और रंग कई लगते मुझे हमेशा प्यारे कभी फर्श पर कभी मैदान में मिलते हैं इसके नजारे कभी हाथ में हमारे कभी हाथ में तुम्हारे

Best Hindi poem for class 2 competition

बिल्ली चुपचाप दबे पांव आती बिल्ली खुला दूध पी जाती बिल्ली खतरा सुन करती म्याऊं म्याऊं और भाग जाती है बिल्ली कुछ होते हैं घरेलू बिल्ली कुछ होते हैं बाहर की बिल्ली

कुत्ता एक वफादार जानवर घर का पहरेदार वह सोता या जागता हमेशा रहता असरदार अपनों को तो जानता है पर गैरों को नहीं मानता है भक्त बनकर मालिक का करता सेवा कोई खाता मलाई कोई खाता मेवा

हाथी चार पैरों का भारीभरकम चलता जब भी डवांडोल मचती बस्ती या शहर में होलमहोल बच्चे दौड़ते पीछे बजाते सीटी भागता हाथी इधरउधर राह में देखता जब कोई चींटी

मेला वर्षों बाद फिर आया मेला लोगों का होगा फिर ठेलम ठेला नए कपड़े में सब सज जाएंगे रंग बिरंगे दुकानों पर बच्चे दौरे जाएंगे लेंगे खिलौना और गुड़िया गुड्डी से खेलेंगे

प्यार Hindi poem for class 2 competition

प्यार प्यार धीर है प्यार अगन जिसमें विलय सारा गगन प्यार है। ताकत प्यार है कमजोरी ही दिखावा ही सीनाजोरी

संतोष

संतोष संतोष सुधन है संतोष सरल है बाकी उपाय जीवन गरल है संतोष है समृद्धि संतोष सुयश है शेष जीवन का सब अपयश है।

दुनिया 

दुनिया यह दुनिया बहुरंगी माया का जाल है बेईमान कपटी धोखेबाज सब मालामाल है जो जीते गरीब मरते गरीब मत पूछो क्या हाल है? जो ठहरा, पड़ा रहा, मंजिल उसकी, जिसमें चाल है

धरती Hindi poem for class 2 competition

धरती जीवन देती दुख हर लेती यह धरती मां अपनी ममता से खुशियां देती यह धरती मां संपूर्ण सृष्टि का सजीव इतिहास यह धरती मां लाचार या कर्मवीर की शरण भूमि यह धरती मां।

पेड़पौधे 

पेड़पौधों की सजी दुनिया उसमें अपनी एक दुनिया नित जीवनअमृत की धारा बहती ऐसी है यह अजीब दुनिया मौसम खुशी के आतेजाते चलती रहती यह दुनिया।

भगवान

भगवान मन की श्रद्धा मन का भाव मन की तृप्ति मन की इच्छा खुशी गाना या दुख से मुक्ति चार धाम का सुख या सरल स्वभाव

धर्म Hindi poem for class 2 competition

धर्म मानव मूल्य मानवता धर्म जीत वही जिसमें निर्मूल अधर्म मानव हित का गाना यही मानव हित का कर्म निज का त्याग पर की खुशी है जग का सच्चा धर्म।

खेल तन मन की शुद्धि 

खेल तन मन की शुद्धि करता खेल हो अपना या पराया कराता सबसे मेल है सहज और सरल बहुत खेलना कोई खेल आसान हर मुश्किल होगी जीवन जब हो जाएगा खेल।

व्यायाम 

व्यायाम सुबह हो या शाम करना जरूर व्यायाम बड़े या बुजुर्ग का सलाह व्यायाम करो योगा या ध्यान है सब व्यायाम शरीर का बल मन की ताकत का आधार व्यायाम

स्कूल बैग Hindi poem for class 2 competition

स्कूल बैग छोटी सी मेरी दुनिया है इसमें मुन्ना और मुनिया है यही छोटा संसार मेरा आधार मुझको बड़ा बनाता मुझे हर बात बताता कब है छुट्टी कब है पढ़ाई करता सबकी बड़ाई।

गाय खेतों में 

गाय खेतों में मैदानों में दरवाजे पर खलिहानों में कई रंगों में कई रूपों में देखा देवता के स्वरूपों में बच्चों के ताकत का राज जैसे आसमान में उड़ता बाज दूध है इसका अमृत समान गुण गाए जिसका सारा जहान

मोर बादल

मोर बादल आया बारिश आई जंगल में नाँचा मोर थिरक थिरक के दो पैरों पर जंगल में नाँचा मोर रंग बिरंगे पंख फैलाए जंगल में नाँचा मोर कू कू का शोर मचाए जंगल में नाँचा मोर

डाँट मां Hindi poem for class 2 competition

डाँट मां की डांट पापा की डांट सब अच्छे भले कहते हैं वह नहीं कहते वह कितना दुख सहते हैं डांट को डांट नहीं ज्ञान कहो अपना अपमान नहीं अपना सम्मान कहो

चरवाहा

चरवाहा खेत निर्जन मैदान पहाड़ है ठिकाना उसका हर दिन आए बाहर तो क्या हो भूखा रह जाए मवेशी उस दिन उसका आना उसका जाना एक जब चढ़े दिन दूजा जब ढले दिन

भेड़

भेड़ हल्के हल्के कदमों से चलने वाला भेड़ एक रुका तो रुक गया सब चलने वाला भेड़ बैठा हो जब सब गोलगोल लगता कोई ऊन का ढेर

झाड़ियां Hindi poem for class 2 competition

झाड़ियां झाड़ियां संकरी झाड़ियां कंटीली फैलते मैदान हो या जमीन पथरीली कई फूल और फल भी लगते है यह बड़ी अलबेली।

जंगल 

जंगल कई रूप रंग के पेड़ यहां दुनियाँ एक अजूबा यहां जीवन को करता अमृतदान हर्षित जग करता इसका पान लोग लगे हैं इसे मिटाने अपनी कपटी काया को सजाने।

खेत

खेत बहुतेरे फसलों का दाता जिससे मानव नहीं कभी अघाता जीवन गति का स्रोत यही सुखसमृद्धि का प्रतिरूप यही

मैदान हरेभरे Hindi poem for class 2 competition

मैदान हरेभरे घास का मैदान जिसमें आना मेरा मान कहीं ऊंचा कहीं नीचा है यह छोटा बच्चा दोस्तों के साथ यहां मस्ती है खुशियां कितनी सस्ती है

सहेली

सहेली मेरे सुख की सहेली मेरे दुख की सहेली सहेली मेरी जान सहेली ही मेरी पहचान मेरे आंसू उसके गम प्यार होगा हमारा कम।

रिश्तेदार 

रिश्तेदा रिश्तेदार हैं बगिया के फूल रहते साथसाथ जाते दुख सुख भूल खुशियां बांटे खुशियां मिले यही रिश्तेदारी का मूल।

शाम धमक शाम Hindi poem for class 2 competition

शाम धमक शाम की अंधेरा आया जाते पंछी को अपने घर लौटाया सारा जग फिर कोलाहल पाया खुद की सुंदर काया पाया सूरज डूबा निकले तारे यहां भी माया वहां भी माया।

सुबह सुबह Hindi poem for class 2 competition 

सुबह सुबह सवेरे का सूरज सब को नींद से जगाता सूरज जग को मिलता उजियारा अंधेरे के बाद जब आता सूरज पंछी नदियां पहाड़ सब खिल उठता जब आता सूरज दुनिया फिर से दौड़ लगाती जब आकर दस्तक देता सूरज।

गली संकरी

गली संकरी छोटी पतली गली रास्ते से जा मिलती गली कई घरों को कई सड़कों को सिकुड़ती फैलती जोड़ती गली भूला राही भटकता फिरता जब जाता इस गली से उस गली

गांव स्वच्छ सुंदर मेरा Hindi poem for class 2 competition

गांव स्वच्छ सुंदर मेरा अपना गांव शहर से दूर सुंदर अपना गांव ठंडे पानी हरेभरे खेत से सजता सँवरता अपना गांव शहर में दूर रहने वालों को लगता कोई सपना गांव

आजादी मैं तितलियों Hindi poem for class 2 competition 

आजादी मैं तितलियों के साथ छोडूँ फूलों की पंखुड़ियों पर चलूं आसमान हो मेरा बसेरा चिड़ियों के साथ उर्दू नदियों की कल कल धारा में मैं शांत अपना पांव रखूं समंदर की तेज ऊंची लहरों पर मैं नौका विहार करूं

गर्मी 

गर्मी आई गर्मी आई दूर भगाकर सर्दी आई घर में चैन बाहर आराम अबकी बार ऐसी गर्मी आई सूरज दादा गुस्से में पेड़ पौधे सब जल रहे धरती देखो तपती जलती ठंडी छाया को सब मचल रहे।

हवा Hindi poem for class 2 competition

हवा कभी सांयसांय हवा कभी धूम धड़ाक कभी उड़ाती धूल तो कभी तोड़ती फूल दस्तक कभी दरवाजे पर हलचल कभी मैदानों में जा बैठती तेज तर्रार बच्चों के अरमानों में।

बर्फ ठंडा ठंडा 

बर्फ ठंडा ठंडारूप है इसका श्वेत है इसका रंग सूरज की किरणों में सोने जैसा इसका रंग लगाओ हाथ तो पिघलने लगती क्षण में हो जाता भंग

गरीब 

गरीब फटेपुराने कपड़ों में आज भी है वह गरीब आज नहीं सदियों से वह चल रहा है गरीब अमीरों का सपना शेष वह बना रहा गरीब आए खुशियां पास उसके जा पाया उसके करीब

अमीर धन Hindi poem for class 2 competition

अमीर धन लक्ष्मी का करता आदर जग है उसका अपना चादर ईर्ष्या द्वेष में उसका बसेरा लगता जग का उजियारावह गरीब हम अमीर हैंकहता वो सबके अपने तकदीर हैं।

हंसी छोटी Hindi poem for class 2 competition

हंसी छोटी बात क्या बड़ी बात गर जाए हंसी निर्मल हो शांत मन जिसका उसको जाए हंसी निर्दयी कपटी चालबाज को बात क्या बड़ी बात गर जाए हंसी निर्मल हो शांत मन जिसका उसको जाए हंसी निर्दयी कपटी चालबाज को कब आती सच्ची हंसी हंसी अनमोल है हंसी अमृत है जग का सारा सार मिश्रण है।

मुस्कान 

मुस्कान विष को अमृत करते मुस्कान गर है सच्ची यह मुस्कान जादुई करामात इसकी जानता सारा जहान अपनों का पराये का है इसको सच्ची पहचान विष को अमृत करती मुस्कान गर है सच्ची यह मुस्कान।

किसान खेतों का Hindi poem for class 2 competition

किसान खेतों का देवता अन्न का मतदान परोक्ष में बनाता है जो सबको महाज्ञानी धूप बारिश का डर करता रहता वह काम निडर चिंता भय उसको अपने काम में नहीं संशय उसको

दुकानदार

दुकानदार दुकानदार नहीं सेवादार कहो दूजा नहीं अपना परिवार कहो आपकी खुशियां है उससे जुड़ी जैसे खनकती हाथ में चूड़ी

हवाई जहाज

हवाई जहाज तीन टांगों पर उड़ता जहाज सबको साथ ले जाता जहाज बादल में पंछी जैसा पास आए तो बड़ा जहाज मेरा भी मन करता है एक दिन उड़ाऊ जहाज।

किताब Hindi poem for class 2 competition

किताब अक्षरों को शब्दों में शब्दों को पन्नों पर पन्नों को किताबों में ढालता कोई जादूगर इसकी दुनियाँ दुनियाँ का ज्ञान जो पढ़ता है इसको, मिलता उसको जग में मान।

सुंदरता तन में मन

सुंदरता तन में मन में बाहर भीतर है सुंदरता स्वच्छ मन और स्वच्छ विचार दिखाता सुंदरता हो सुंदर तुम स्वयं तो दिखेगी सारी सुंदरता।

अजनबी

अजनबी नहीं जानती जिसे मैं वह अजनबी नहीं पहचानती जिसे मैं वह अजनबी लगता अजीब कभी मुझे जो वह अजनबी नहीं जिसमें अपने को अपनापन वह अजनबी।

मीठी बोली Hindi poem for class 2 competition

मीठी बोली मीठी बोली मीठी बोली शहद से मीठा गुड़ की भेली मीठी बोली करती काम होता जग में उसका नाम नहीं होता झगड़ा रगड़ा जब होता मीठी बोली का पहरा

आंखें 

आंखेंआंखें आंखों को तौलती है रहे चुपचाप मगर बोलती है गिरह कई राज के धीरेधीरे खोलती है आंखें आंखों को तौलती है रहे चुपचाप मगर बोलती है।

हिम्मत

हिम्मत आगे बढ़ने की चाह में हिम्मत लगती है कुछ बड़ा कहने में हिम्मत लगती है सच कहने में हिम्मत लगती है अपमान सहने में हिम्मत लगती है।

बंदर Hindi poem for class 2 competition

बंदर चार पैर पर नौटंकी आया खेल दिखाने रोते जग को देखो फिर लगा हंसाने अपनी चालबाजी नौटंकी से लगा सबका दिल बहलाने।

जाड़ा

जाड़ा रखे कंबल को अब लो निकाल जाड़ा ने किया जीना मुहाल अब चुपके से कंबल में बैठेंगे अक्सर सुन के आवाज किसी की जल्दी से उठेंगे गरम गरम खाना और ढेर मेवे पेट भर कर खाएंगे।

https://youtu.be/ci_KKNVIkJ0

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