If you searching for the best Poems in Hindi for Class 8 then you are in the right place. Here I’m sharing with you unique Hindi Poems for Class 8 which is really amazing and interesting I’m sure you will like it and appreciate it.
If you searching for the best Poems in Hindi for Class 8 then you are in the right place. Here I’m sharing with you unique Hindi Poems for Class 8 which is really amazing and interesting I’m sure you will like it and appreciate it. These emotional poems also encourage you in your life.
- Hindi Poems for Class 8 – वरदान
ऐसा वरदान दो मेरे दाता, बन के इंसान आ जाए जीना | प्रेम अमृत पिये और पिलाये, बैर का विश पिये हम कभी ना |
दूर अपने से अपने हुआ हैं, सबको ऐसा खुदी ने है घेरा | रूहें बेचैन दिल है परेशा, आज घर–घर में बसता अंधेरा |
ढूँढती फिर रही है ये दुनिया, खो गया शांति का ये नगीना ऐसा वरदान दो मेरे दाता, बन के इंसान आ जाए जीना ||
झूठी माया की झूठी चमक में, भूल कर आदमी खो न जाए |
बन के पतवार ले चल किनारे, तू हर इक जिंदगी का फ़सीना | ऐसा वरदान दो मेरे दाता, बन के इंसान आ जाए जीना ||
ज्ञान जिनको नहीं ज्ञान देना, ज्ञानवानों को विश्वास देना | जब कदम डगमगाने लगे तो, तू ये अहसाह हमको भी देना |
खुद खुदा भी करे नाज़ जिस पर, बक्स दे हमको ऐसा करीना | ऐसा वरदान दो मेरे दाता, बन के इंसान आ जाए जीना ||
तू है हिन्दू मे, मुस्लिम मे तू है, तू ही बसता है हर एक जगह मे| सर अकीकत से अपना झुकले,
देखें दाता तुझे जिस अदामें मेरा ये दिल कोई न तोड़े, दिल है काशी ये दिल है मदीना |
ऐसा वरदान दो मेरे दाता, बन के इंसान आ जाए जीना ||
Click here – Top 20 Unique Poems in Hindi for Class 7 हिंदी में 2021
- Hindi Poems for Class 8 – याचना
शिवा शिव तुम हो दया निधान, हमे दे डालो यह वरदान | रहें हम सब शाश्वत स्वाधीन,
परस्पर मत्सर वैर विहीन करें इस विधि उद्योग नवीन, न रह जाए हम जग में हीन |
हमारा दिन रहे उत्थान, हमे दे डालो यह वरदान || भरे हम सबमें विमल–विचार, बने हम शुभ–गुण–गण भंडार |
शांति समता का रख व्यवहार, करें हम अनवरत उपकार | सव्यता का हो हममें स्थान, हमे दे डालो यह वरदान ||
क्षमा करुणा श्रद्धा विश्वास, निरंतर हममें करे निवास | करें हम हिल मिल यही प्रयास, सुयुज्ज्वल हो अपना इतिहास |
प्रसारित हों फिर वेद–विधान, हमे दे डालो यह वरदान || रुचे हमको हरी कथा प्रसंग, मिले संतत संतो का संग |
धर्म की हममें बढ़े उमंग, न शुभ कार्यों का क्रम हो भंग | करें हम सबका सम सम्मान, हमे दे डालो यह वरदान ||
भक्ति का हममें बढ़े प्रवाह, सत्व गुण हममें भरे अथाह | बढ़े हममें साहस उत्साह, मिटे सब भावतापों का दाह |
करें हम कमलापति का ध्यान, हमे दे डालो यह वरदान ||
प्रणव जप तप कर अविराम, करें हम प्रभु पूजन निष्काम वसा हृदयों में सीता राम,
द्रगों में राधायुत घनश्याम सुने मंजुल मुरली की तान, हमे दे डालो यह वरदान ||
उपनिषद उपवन सुमन सुवास, उड़ें पाकर अध्यात्म विकास | हमारा सबका हर निश्वास, करें हम सुरभित हर हिय हास |
मोह भाषा का हो अवसान, हमे दे डालो यह वरदान || सकाल जीवों का हित हियधार, लक्ष्य कर सब जग का उद्धार |
करें हम बन कर विवुध उदार, ब्रह्म विद्या का प्रचुर प्रचार | भरें हिय हीर में ब्रम्हा ज्ञान, हमे दे डालो यह वरदान ||
प्रगत दुष्कर्मों की कर मंद, विषय विष का पीना कर बंद | आत्मचिंतन रत हो स्वछंद, सुलभ कर लें हम ब्रांहानंद |
वही सुख हमको जचे प्रधान, हमे दे डालो यह वरदान || चराचर का हम बन के मित्र बनाने जीवन परम पवित्र |
विशद कर अपना चारु चरित्र, दिखादें हम आदर्श विचित्र | मोक्ष पद भागी बने निदान, हमे दे डालो यह वरदान ||
- Hindi Poems for Class 8 – कैसे आएंगे भगवान
हमने आँगन नहीं बुहारा, कैसे आएंगे भगवान | अब तक गंदा पड़ा है द्वारा, कैसे आएंगे भगवान |
मन का मैल नहीं धोया तो, कैसे आएंगे भगवान || हर कोने में कसम सायकी लगी हुई है ढेरी |
नहीं ज्ञान की किरण कही है, हर कोठरी अंधेरी आँगन चौबारा अँधियारा, कैसे आएंगे भगवान |
हृदय हमारा पिघल न पाया जब देखा दुखियारा | किसी पंथ भूले ने हमसे पाया नहीं सहारा |
सूखी है करुणा की धारा, कैसे आएंगे भगवान || अंतर के पट खोल देख तो ईश्वर पास मिलेगा |
हर प्राणी में परमेश्वर का ही आभास मिलेगा | सच्चे मन से नहीं पुकारा, कैसे आएंगे भगवान ||
निर्मल मन हो तो रघुनायक, सबरी के घर आते हैं |
श्याम सूर्य की बांह पकड़कर, साग विदुर घर खाते हैं इस पर हम ने नहीं विचारा, कैसे आएंगे भगवान |
हमने आँगन नहीं बुहारा, कैसे आएंगे भगवान ||
- Hindi Poems for Class 8 – निराकार
अजब हैरान हूँ भगवन, तुझे कैसे रिझाऊँ मैं | न कोई वस्तु है ऐसी जिसे सेवा मे लाऊं मैं |
निरादर है बुलाने में, अगर घंटा बजाऊँ मैं | अजब हैरान हूँ भगवन, तुझे कैसे रिझाऊँ मैं ||
लगाना भोग है तुमको, ये एक अपमान करना है | खिलाता है जो सब जग को उसे कैसे खिलाऊँ मैं |
तुम्ही मौजूद सूरत में, तुम्ही व्यापक हो फूलों में | भला भगवान को भगवान पर कैसे चदौन मैं |
भुजाएँ हैं न सीना है, न गर्दन है न पेसानी |
तू है निर्लेप नारायण, कहाँ चन्दन लगाउन मैं अजब हैरान हूँ भगवन, तुझे कैसे रिझाऊँ मैं ||
बड़े नादान है वो जो बनाते तेरी सूरत को | बनाता है जो सब जग को उसे कैसे बनाऊँ मैं |
अजब हैरान हूँ भगवन, तुझे कैसे रिझाऊँ मैं ||
- Hindi Poems for Class 8 – कृपा
प्रभु हमपे कृपा करना, प्रभु हमपे दया करना | बैकुंठ तो यही है हृदय में रहा करना गूँजेंगे राग बनकर, वीणा की तार बनकर |
प्रगटोगे नाथ मेरे हृदय में प्यार बनके | हर रागिनी की धुन पर स्वर बन के उठा करना |
प्रभु हमपे कृपा करना, प्रभु हमपे दया करना || नाचेंगे मोर बन कर, हे श्याम तेरे द्वारे |
घनश्याम छाए रहना, बन करके मेघ कारे | अमृत की धार बन कर, प्यासों पर दया करना |
प्रभु हमपे कृपा करना, प्रभु हमपे दया करना || तेरे वियोग में हम, दिन रात है उदासी |
अपनी शरण में ले लो, हे नाथ ब्रज के बासी | तुम सोह शब्द बन कर, प्राणों में रमा करना |
प्रभु हमपे कृपा करना, प्रभु हमपे दया करना |
- Hindi Poems for Class 8 – बड़ी दूर है नगरी
कैसे आऊँ रे कन्हैया, बड़ी दूर है नगरी | रात को आऊँ कान्हा, डर मोहे लागे |
दिन को आऊँ तो, देखे सारी नगरी | कैसे आऊँ रे कन्हैया, बड़ी दूर है नगरी ||
तेरे संग आऊँ कान्हा, शरम मोहे लागे | अकेली जाऊँ तो कान्हा, भूल जाऊँ डगरी ||
कैसे आऊँ रे कन्हैया, बड़ी दूर है नगरी | धीरे– धीरे चलूँ कान्हा, कमर मोरी लचके |
झट–पट चलूँ कान्हा, तो छलकाए गगरी | कैसे आऊँ रे कन्हैया, बड़ी दूर है नगरी ||
- Hindi Poems for Class 8 – तेरी अच्छी बनेगी
संतन के संग लाग रे, तेरी अच्छी बनेगी | अच्छी बनेगी, तेरी अच्छी बनेगी |
बिगड़ी बनेगी तेरी किस्मत जागेगी | संतन के संग लाग रे, तेरी अच्छी बनेगी ||
ध्रुव की बन गई, प्रह्लाद की बन गई | राम चरण अनुराग, तेरी अच्छी बनेगी ||
संतन के संग लाग रे, तेरी अच्छी बनेगी | सबरी की बन गई, कुब्जा की बन गई |
पाग सके तो पाग, तेरी अच्छी बनेगी | संतन के संग लाग रे, तेरी अच्छी बनेगी ||
गोपी को बन गई, ग्वालों की बन गई जाग सके तो जाग, तेरी अच्छी बनेगी |
संतन के संग लाग रे, तेरी अच्छी बनेगी || कागा की बन गई, जटायु की बन गई |
सीता चरण अनुराग, तेरी अच्छी बनेगी | संतन के संग लाग रे, तेरी अच्छी बनेगी ||
- श्रम Poems in Hindi for Class 8
लंबी सी डींग हाँकते हो, सिर्फ औरों को भापते हो।
बात बिठा लो तुम रग–रग में, सफल होना है इस जग में।
जो श्रम से जी चुराओगे, तो जीवन भर पछताओगे।
ईश तुम्हारे साथ साथ हैं, हम तुम्हारे जगनाथ हैं ।
श्रम का फल मीठा होता है, जो नहीं चखा ओ रोता है।
सिर्फ प्यारे तुम फली न फोड़ना, श्रम से ईंट–ईंट भी जोड़ना।
अपना इतिहास बताता है, जग श्रम की महिमा गाता है।
अनमने बैठे हो कब से, कमर कस लो आज अब से ।
बीता वक्त लौट न आता है, समय फिसलता जाता है।
लो संकल्प श्री गणेश करो, माता–पिता के पाँव पड़ो।
- Hindi Poem for Class 2 Competition
- Unique Short Poems in Hindi
- Hindi Poem on Life Struggle
- Romantic Poem in Hindi
- जीवन की धूप छाव में Poems in Hindi for Class 8
कुछ पल बैठ यादों की नाव में, जीवन की धूप–छाँव में।
वह कागज की नाव बनाना, दौड़ना बारिश की झमझम में यादें बीते पल की कर लें,
आओ लौट चलें बचपन में । कुछ पल बैठ यादों की नाव में । जीवन की धूप–छाँव में।
कोयल के संग सुर मिलाना, अंबिया तोड़ना बागों में।
बांसुरी सी तान छेड़ना, भांग मिलाकर रागों में कुछ पल बैठ यादों की नाव में। जीवन की धूप–छाँव में।।
बचपन की यादें सूर्ख गुलाब से, दबी जीवन के पन्नों में ।
मन आज भी खो जाता है, मधुर से उन क्षणों में ।
कुछ बैठ यादों की नाव में, जीवन की धूप–छाँव में।
- Beti Bachao Beti Padhao poem in Hindi
- Kumar Vishwas Poem in Hindi
- Heart Touching Poem in Hindi
- Love Poem in Hindi for Girlfriend
- बचपन Poems in Hindi for Class 8
खो जाता है मन बातों में, बचपन की मिठ्ठी यादों में । भले–बुरे का भेद नहीं था, हमजोली के साथो में।
बातें सावन की बारिश की, या कागज की कश्ती की। चाहे बागों के झूले की, या टोली संग मस्ती की।
गुड्डे–गुड़ियों का ब्याह रचाना, क्या दावत की थाली थी। छप्पन भोग बने मिट्टी से, हर दिन जैसे दिवाली थी।
शरीफों की दादी बनकर, दुबके पाँव घर में आना। डांटने जब अम्मा दौरे, दादी के आँचल में छुप जाना।
लंबी–लंबी गप्पें हाँकना, बैठ सदा हमजोली संग। बचपन की उन यादों में, बरबस मन जाता है रंग।
- Poem on Moon in Hindi
- Poems in Hindi For Class 10
- Poems in Hindi for Class 9
- Poems in Hindi for Class 7
- आँसू Poems in Hindi for Class 8
सुख के आँसू, दुख के आँसू, और है कुछ जज्बात ये आँसू
होंठ सिले हों, चुप हो आँखें, कहते कुछ अल्फाज ये आँसू
गम आएगा, खुशियाँ आए, बिन मौसम बरसात ये आँसू
संगी छूटे या जग रुठे, रहते हरदम साथ ये आँसू ।
- सृजन Poems in Hindi for Class 8
सृजन करो तुम खुशी का तब कहीं निखर आएगी
तेरी रचनात्मकता कला है हर कार्य
जिसकी खूबसूरती को मत डूबा उदासियों में
अपने मन की खुशी को रचो तुम सृजन करो तुम।
बोझिलता को विस्तार देना खो खोने जैसा है अंतर की सुंदरता क्यों दूर होते जाते हो
स्वयं से ढूंढो खुद को परखो, फिर देखो कैसी तेरी रचना होगी खुद को रचो।
स्वयं का सृजन करो।
- मौन Poems in Hindi for Class 8
नदी का गहरा विस्तार और सन्नाटे को चीरती चपपू की आवाजबहुत कुछ रचता है
फिजा में पसरा यह नि:शब्द मौन। दिखता है यहां कितना अदना सा अंतर का कोलाहल।
परती थी कभी फागुनी ब्यार की चुहल जब कानों में बज उठते थे जैसे असंख्य घुँघरू
या फिर जैसे कोई अल्हड़ पहाड़ी नदी खिलखिला पड़ी हो। बर्फीली चोटियों की धवलता
टकराती रूह से और उसकी रूहानियत किसी गहरे सागर में होता हुआ विलीन सा
यह सन्नाटा यह नि:शब्द मौन।
- अपराधबोध Poems in Hindi for Class 8
आज फिर नहीं जलेंगे चूल्हे रोती मुनिया को बना बहाने सुनानी पड़ेगी कई कहानियां
भूने मकई के दाने चबाती खो जायगी निर्विकार कहानियों में कभी विस्मित होती,
तो कभी खिलखिलाती मुनिया किंतु नही खिलखिला पाती वह
बेटी को आँचल में छुपा ताकत वह शून्य में छलक आय आंसू खो जाते हैं
मुनिया के बालों में उसे पता है नही मिला होगा आज फिर कोई काम
एक परछाइ चारपाई पर सो जाती है चुपचाप हृदय से लगा लेती है
पति की विवशता को रात के साथ–साथ गहराता जाता है दोनों का अपराधबोध !
- बारिश के दिन Poems in Hindi for Class 8
कई दिनों से थम नहीं रही बारिश उज बूजाहट सी है
चारो ओर थम गई है जिन्दगी बजबजाती कच्ची सड़कें
अजीबोगरीब जीव प्राणियों की सैरगाह बन गई है
अकुला उठे हैं पंक्षी भीगे आसियाने में नही सुहाते अब
आकाश में बादल… अपने भीगे पंखों को
चोंच से संवारते पंक्षी बेबस हो देखते अपने कूनबो को।
डूब चुके हैं सब खेत और खलिहान कांप रहा है उनपर
एक मटमैली सी चादर आकुल से कौवे और कुत्ते की टोली
ब्याकूल हो खोजते तलाशते अपनी–अपनी जीविका
- पगडंडी Poems in Hindi for Class 8
हम जिन सड़कों से होकर आगे बढ़ते गए वे सड़कें
कितनी सलोनी प्यारी सी सड़कें। सुबह की वह
भीगी नहाई ओस में कितनी निरीह माँ के आँचल सी
पावन और पवित्र। बचपन खेलता था जिसपर थकते नही थे पाँव
चलते–चलते वे सड़कें नही थीं वे तो पगडंडी थी हमारे गांव की
प्यारी सी पगडंडी । अब हम चल रहे हैं जिनपर वे सड़कें हैं
पक्की सड़कें, सम्पूर्ण यथार्थ । पगडंडी के साथ
छूट गया सपनों का धरातल ।
- बीज आशाओं के Poems in Hindi for Class 8
समय के साथ गुजरता है सब कुछ, कुछ पास से तो कुछ दूर से वो किससे कहे
जो कुछ पाने की आस में सब कुछ खो दिया जहाँ हँसना था, वही रो दिया।
विरान सी सपनों की धरती पर खुद को समेट एक बीज आशाओं के लो आज फिर से बोल दिया।
Thank you for reading these Poems in Hindi for Class 8 I’m sure you would like it. In this article versus type Poems in Hindi for Class 8, you can find and read it if you want you can share these poems with your friends and family I’m sure they will also like these poems, and they thank you for sharing these poems.
Click here – Top 20 Popular Poems in Hindi for Class 9 हिंदी में 2021
To Know Some Great Stuff Do Visit Oldestly
To Know Some Great Stuff Do Visit NationalParkss
To Know Some Great Stuff Do Visit Knowexamples