Hindi Poem for Class 3:- If you are searching for Hindi Poem for Class 3 then you at the right place here I’m sharing with you the best Hindi Poem for Class 3
Hindi Poem for Class 3:- If you are searching for Hindi Poem for Class 3 then you at the right place here I’m sharing with you the best Hindi Poem for Class 3 which is really amazing and interesting and also very engaging. These Hindi poems are specially for class 3 children and the best part of these poems is children can easily understand it and easily learn it.
Hindi Poem for Class 3 – इंसान
किसी के काम जो आए, उसे इंसान कहते हैं | पराया दर्द अपनाए, उसे इंसान कहते हैं |
कभी धनवान है कितना, कभी इंसान निर्धन है | कभी सुख है कभी दुख है, इसी का नाम जीवन है |
जो मुसकिल में न घबराए, उसे इंसान कहते हैं किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते हैं ||
ये दुनिया एक उलझन है, कही धोखा कही ठोकर |
कोई हस कर के जीता है कोई जीता है रो रो कर जो गिरकर फिर सम्हल जाए, उसे इंसान कहते हैं |
किसी के काम जो आए, उसे इंसान कहते हैं ||
अगर गलती रुलाती है, तो राहें भी दिखती है | मनुज गलती का पुतला है, यह अक्सर हो ही जाती है |
जो गलती कर के पछताए, उसे इंसान कहते हैं |
अकेले ही जो खा–खाकर, सदा जुगरान करते हैं यों भरने को तो दुनिया में पशु भी पेट भरते हैं |
जो बंदा बाँट कर खाये, उसे इंसान कहते हैं | किसी के काम जो आए, उसे इंसान कहते हैं ||
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Hindi Poem for Class 3 – दयालु भगवन
शरण में आए है हम तुम्हारी, दया करो हे दयालु भगवन | न हम मे बल है, न हम मे शक्ति,
न हम मे साधन न हम मे भक्ति तुम्हारे दर के हैं हम भिखारी, दया करो हे दयालु भगवन |
जो तुम हो स्वामी तो हम हैं सेवक जो तुम हो पालक तो हम हैं बालक जो तुम हो ठाकुर तो हम पुजारी दया करो हे दयालु भगवन |
सुना है हमने अंश तुम्हारे तुम्ही हो सच्चे प्रभु हमारे तो सुध हमारी क्यूँ है बिसारी,
दया करो हे दयालु भगवन बुरे जो हम है तो हैं तुम्हारे भले जो हम है तो हैं तुम्हारे तुम्हारे होकर के हम दुखारी, दया करो हे दयालु भगवन |
प्रदान कर दो महान शक्ति भरो हमारे हृदय में भक्ति तभी कहाओगे तापहारी, दया करो हे दयालु भगवन |
Hindi Poem for Class 3 – संदेश
संदेशा आ गया यम का, चलन की कर तैयारी है |
बल सिर के हुए धौले, सफेदी आँख पर छाई | श्रवण से सुन पड़े ऊंचा, दाँत हिलना भी जारी है |
संदेशा आ गया यम का, चलन की कर तैयारी है ||
कमर सब हो गयी कुबड़ी, चले लकड़ी सहारे से | गयी सब देह की ताकत, लगी मन में बीमारी है |
संदेशा आ गया यम का चलन की कर तैयारी है ||
छूटी सब प्रीत तिरिया की, पुत्र सब हो गए न्यारे | बने सब मित्रा मतलब के, झूठ लोकन की न्यारी है |
संदेशा आ गया यम का, चलन की कर तैयारी है ||
करो जगदीश का सुमिरन, भरोसा राख़ के मन में | वो ब्रांहानंद हैं सबका, सभी से उसकी यारी है |
संदेशा आ गया यम का, चलन की कर तैयारी है ||
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Hindi Poem for Class 3 – प्रभु की याद
दुखों से अगर चोट खाई न होती | तुम्हारी प्रभु याद आई न होती |
जगाते न तुम गुरु ज्ञान द्वारा |
कभी हमसे कोई भलाई न होती कही भी हमें चैन न मिलती जगत में शरण यदि परम शांतिमयी न होती |
सदा बंद रहती ये अँखिया हृदय की |
जो अपनी खबर तुमसे पायी न होती | किसी का कही भी कहाँ था ठिकाना |
तुम्हारे यहाँ जो सुनाई न होती | पथिक जैसे पापी भी कैसे सुधरते |
यदि तुमने बिगड़ी बनाई न होती | दुखों से अगर चोट खाई न होती | तुम्हारी प्रभु याद आई न होती ||
Hindi Poem for Class 3 – तकदीर
कोई पता नहीं तकदीर का, कोई पता नहीं तकदीर का पल से पल में क्या हो जाए,
मानव तेरे शरीर का कोई पता नहीं तकदीर का || हरिश्चन्द्र सत्यवादी भए, बिकने को काशी भी गए |
एक दिन उनको मरघट देखा, घड़ा उठाते नीर का |
कोई पता नहीं तकदीर का || मोरध्वज थे वचन के साचे, उनको कृष्ण स्वयं हैं जाँचे माया का एक सिंह बनाया,
सुत चिरवाया वीर का कोई पता नहीं तकदीर का ||
अर्जुन क्या कम वीर था, विलक्षण विपुल प्रवीण था तिनकी गोपिका भीलन लूटी, ज़ोर चला नही तीर का |
कोई पता नहीं तकदीर का || दशरथ के चार पुत्र भए, राम लखन सिय वन को गए |
वन– वन उनको फिरते देखा, बाना घरे फकीर का | कोई पता नहीं तकदीर का ||
Hindi Poem for Class 3 – समय
अब तो सम्हल जा, समय जा रहा है | न सम्हला अगर अब सम्हल न सकेगा |
जो चाहेगा का करना वह कर ना सकेगा | समय की उड़ान तो बड़ी तेज़ होती |
समय को जो खोता किस्मत है खोटी | कदर कर समय की कोई गा रहा है |
अब तो सम्हल जा, समय जा रहा है || संगम का मौसम है ऐसे न खो तू बोने का मौसम है कुछ तो अब बो तू |
अगर अब न बोया तो बो न सकेगा | समय खो दिया तो सिर तू धुनेगा |
बदल जा तू बंदे बदलने का युग है | बन जा जो चाहे बनने का युग है |
कल कल न कर तू, समय को न खो तू | बोना है जो कुछ अभी आज बो तू |
कदर कर समय की कोई गा रहा है | अब तो सम्हल जा, समय जा रहा है ||
Hindi Poem for Class 3 – पथिक
पथ भ्रष्ट पथिक बन भटक रहे, परिचय के बिना रट राम रहे रहता है कहाँ कुछ पता नहीं करता है क्या मालूम नहीं |
तुम समझ रहे सुख दुख दोनों, भगवान ही हमको देता है | सुख दाता तो कहलाता है, दुख दाता क्यूँ न कहता है ||
निज कर्मों के परिणामों को, प्रभु का वरदान समझ बैठे | तकदीर बनाने वाला वह, एक ही गाया जाता है ||
फिर क्यूँ न बिगड़ने वाला भी, कहते उसको यह सोचा है | अब रहा नहीं है अधिक समय, अज्ञान नीद में सोने का | बजती यह शंख ध्वनि देने, संदेश विश्व जगाने का ||
Hindi Poem for Class 3 – सद्गुरु
सद्गुरु आए रे सजनिया मोरे अंगना | उड़े बदरवा कभी–कभी बिजली और तारे चमके |
सूरज चाँद मणि और मोती रंग बिरंगे दमके | जगमग ज्योति की अंगनियाँ मोरे अंगना |
सद्गुरु आए रे सजनिया मोरे अंगना || कभी अंधेरा कभी उजाला कभी दर्श दिखलाए |
रूप तेरा एस जग मे आला भक्तों के मन भाए | प्यारे बजे तेरी बशुरिया मोरे अंगना |
सद्गुरु आए रे सजनिया मोरे अंगना ||
Hindi Poem for Class 3 – गुरुदेव
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे, गुरुदेव समरिया मोरे | तुम भक्तन के हितकारी, मैं आया स्शरण तुम्हारी |
काटो जनम–मरण के फेरे, गुरुदेव समरिया मोरे || मेरी डोले भंवर में नैया बन जाओ आप खिवैया |
मेरे तुम ही हो सांझ–सबेरे, गुरुदेव समरिया मोरे || तुम युग–युग अंदर आए, मोहे नींद से जीव जगाए |
किया डेल के दूर अंधेरे, गुरुदेव समरिया मोरे || हम अधम जीव अभिमानी, तेरी भक्ति न हमने जानी |
किया जग में पाप घनेरे, गुरुदेव समरिया मोरे ||
Hindi Poem for Class 3 – खेवनहार
पकड़ लो हाथ बनवारी नहीं तो डूब जाएंगे | तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा हमारी जान जाएगी |
घरी सिर पाप की गठरी उसमे बोझ भारी है उतारो नाथ जल्दी से नहीं तो डूब जाएँगे |
पकड़ लो हाथ बनवारी नहीं तो डूब जाएंगे || पड़ी मजधार में नैया खिवैया कोई नहीं इसका |
खिवैया आप बन बन जाओ तो नैया पार हो जाये | पकड़ लो हाथ बनवारी नहीं तो डूब जाएंगे ||
जवाहर की जड़ी चुड़ियाँ कहीं ये टूट न जाएँ | ये सत्संग की मुहब्बत है काही ये छूट न जाएँ | पकड़ लो हाथ बनवारी नहीं तो डूब जाएंगे |
Latest Hindi Poem for Class 3
रेलगाड़ी छुक छुक चलती है रेलगाड़ी सबको ले जाती ले आती है रेलगाड़ी गांव शहर से गुजरती रेलगाड़ी सबका सबसे मेल कराती रेलगाड़ी बच्चे भी पंक्ति में बन जाते रेलगाड़ी
सड़क मैदान में पहाड़ पर चलती बढ़ती जाती है भूले भटके को राह दिखाती है गांव देश विदेश की सीमा को पार कर जाती है
पहाड़ धरती का शीश आसमान में सिर उठाए खड़ा है पैर दोनों जमीन में गड़ा है फूल पौधे और पेड़ सब साथ इसके अड़ा है गोद इसका हरियाली से भरा है
Hindi Poem for Class 3 on Nature
नदी वर्षों से बनती बिगड़ती आई नदी सबको जीवन देती आई नदी इठलाती बलखाती जाती नदी झरने पहाड़ों से निकलती नदी सुबह–शाम हमेशा चलती नदी
मोबाइल दुनिया की एक नई पहल जिसने दिया दुनिया बदल बात हो जाती है आसानी से रहो चाहे दूर या बगल बड़े बड़े कामों को चुटकी में करना है इसका सगल
घर जीवन ठंडी सांस लेती यहां बनाता है इसे लोग जहां जो छोड़ता है इसे कभी उसे मिलता है ठिकाना कहाँ
Amazing Hindi Poem for Class 3
दादी मां घर की प्यारी निशानी जिसे कहते हैं दादी नानी करती है हमें प्यार हमेशा नहीं चलने देती मनमानी जो कभी रूठ जाती तो करती है आनाकानी
स्कूल मेरा छोटा बड़ा संसार यहीं जीवन लेता सुंदर आकार यहीं सपनों को मिलती उड़ान यहीं सपना होता साकार यहीं
शिक्षक तप त्याग मनोबल सिखाते हमें सोए गहरी नींद से जगाते हमें प्यारी कड़वी बातें सुनाते हमें कभी हंसाते कभी रुलाते हमें आगे चलकर चलना सीखलाते हमें गिरकर उठ जाने पर शाबाशी देतें
Kids Hindi Poem for Class 3
दोस्त खट्टी मीठी यादों का संसार जीवन का जिसमें बहार उसकी खुशी ही मेरा त्यौहार उसका गम ही मेरा उजाड़
बारिश छम छम आई बारिश आई काली घटा घनघोर लाई पूरब पश्चिम और उत्तर दक्षिण आई बिजली चमकी आंधी आई
बादल आसमान में उड़ता बादल रंग बिरंगा छाया बादल सूर्योदय सूर्यास्त का बादल आसमान का रंगीन बादल मैदान के बादल पहाड़ों के बादल काले बादल बहुरंगी बादल सुंदर दृश्य दिखाता बादल सूखों में बरसाता बादल
Children Hindi Poem for Class 3
चिड़िया सूरज का साथी चिड़िया पेड़ों पर चिड़िया बादल में चिड़िया हवा में उड़ती चिड़िया जमीन पर सुसताती चिड़िया चू चू करती रहती चिड़िया शाम को घर लौटती चिड़िया
चूहा मेरे घर में तेरे घर में बसता है उसका संसार नहीं पसंद उसको उससे कोई करे छेड़छाड़ घर के अंदर रहता सदा उसका एकाधिकार
आसमान धरती के चारों ओर फैला है बड़ा आसमान जिसमें बनता बिगड़ता है सारा का सारा जहान देता सूरज चंदा को घर है इतना महान
Hindi Poem for Class 3 Competition
सूरज पूरब से उठकर आता है पश्चिम में छुप जाता है ठंडी में राहत देता गर्मी में सताता है अंधकार को दूर करता जग में उजाला लाता है
चांद रात की रानी बड़ी सयानी चुपके से मुस्काती है बैठे आसमान में अपने नीचे अमृत बरसाती है पेड़–पौधों और नदियों को सफेद निर्मल बनाती है भटके राही को अक्सर अंधेरे में राह बतलाती है
Hindi poem for class 3 Students
फूल रंग बिरंगे और रूप निराले सबके मन को भाते हैं किस्मत पर अपनी यह बड़े इठलाते हैं भंवरे तितली को अक्सर मेहमान बुलाते हैं देकर जग को खुशियां एक दिन चुपचाप मर जाते हैं
बगीचा रंगों की हंसी ठिठोली अक्सर बागों में होती है फूलों की बगिया में भंवरों की मस्ती होती है उदास को हंसी हंसाती और कहती– देखो हंसी कितनी सस्ती होती है
कलम जग का रूप–रंग बदलता कलम वह बड़ा भाग्यविधाता है जिसको कलम जग को जानता वही जिसके पास रहता कलम कई बिगड़े को बनाता है यही छोटा अदना कलम
नाना जी Latest Hindi Poem for Class 3
नाना जी, ओ ना जी, कल फिर आना नाना जी!
बड़ी भली लगती कानों को अजी छड़ी की ठक–ठक–ठक, और सुहाने किस्से जिनमें
परियाँ, बौनों की बक–झक। बुन ना पाता कोई ऐसा ताना–बाना नाना जी!
खूब झकाझक उजली टोपी लगती कितनी प्यारी है, ढीला कुर्ता, काली अचकन
मन जिस पर बलिहारी है। नानी कहती–बचा यही एक चाव पुराना, नाना जी!
रोती छुटकी खिल–खिल हँसती जब चुटकुले सुनाते आप, हँसकर उसे चिढ़ाते आप
खुद ही मगर मनाते आप। कोई सीखे अजी, आपसे, बात बनाना, नाना जी!
सांताक्लाज दंग रह जाए ऐसे हैं उपहार आपके, सरपट–सरपट बढ़ते जाते
किस्से अपरंपार आपके। सच बतलाओ, मिला कहीं से, छिपा खजाना नाना जी!
नाना जी, ओ नाना जी, कल फिर आना नाना जी!
जोकर Hindi Poem for Class 3
सबका मन बहलाता जोकर, हँसता और हँसाता जोकर।
झूम–झामकर यह आता है, नए करिश्मे दिखलाता है।
उछल बाँस पर चढ़ जाता है, हाथ छोड़कर लहराता है।
सिर के बल यह चल सकता है, आग हाथ पर मल सकता है।
जलती हुई आग की लपटें, उछल, पार करता यह झट से।
अगले पल फिर हल्ला–गुल्ला, गाल फुलाता ज्यों रसगुल्ला।
ढीला–ढाला खूब पजामा, लगता है यह सचमुच गामा।
फुलझड़ियों–सी हैं मुसकानें, फूलों–जैसे इसके गाने।
हरदम हँसता यह मस्ताना, खुशियों का है भरा खजाना!
सारे गामा Amazing Hindi Poem for Class 3
मेढक मामा, मेढक मामा, क्यों करते हो जी हंगामा?
टर्र–टर्र की सुनकर तान, फूट गए अपने तो कान!
छोड़ो भी यह गाल फुलाना, दिन भर राग बेसुरा गाना,
बात हमारी मानो, मामा, पहले सीखो सारेगामा!
भालू दादा Interesting Hindi Poem for Class 3
पहन लिया क्या नया लबादा, काले–काले भालू दादा?
ठुमक–ठुमककर पाँव बढ़ाते खूब झटककर लंबे बाल,
दिखा रहे हैं कितनी बढ़िया लाला झुमरूमल की चाल।
फिल्मी अभिनय जब दिखलाते, गर्दन तब मटकाते ज्यादा!
कभी–कभी टीचर बन जाते खूब बड़ा–सा लेकर डंडा,
हँसकर नमस्कार कर दो तो सारा गुस्सा होता ठंडा।
घेरे खड़े अभी तक बच्चे– फिर आओगे, पक्का वादा?
नक्शा Hindi Poem for Class 3 of Maps
नक्शे में नदियाँ–पर्वत हैं
नक्शे में पूरा भारत है,
इतना छोटा–सा नक्शा पर
नक्शे में है सात समंदर!.
पापा, दीदी बहुत बुरी है Hindi Poem for Class 3 on Father
पापा दीदी बहुत बुरी है!
बिना बात करती है कुट्टी सीधे मुँह न करती बात, मैं कहता हूँ–खेलो मिलकर
मगर चला देती यह लात। हरदम झल्लाया करती है, हरदम इसकी नाक चढ़ी है!
मेरे सभी खिलौने लेकर जिस–तिस को दिखलाया करती, माँगूँ तो कह देती ना–ना,
मुझ पर रोब जताया करती। सब दिन कहती–पढ़ो–पढ़ो, बस आफत मेरे गले पड़ी है!
कभी न अपनी चिज्जी देती उलटे मेरी हँसी उड़ाती, कह देती है सब सखियों से
बुद्धू कहकर मुझे चिढ़ाती। बातें करती मीठी–मीठी पर भीतर से तेज छुरी है!
कुक्कू जी ने मेला देखा Hindi Poem for Class 3
कुक्कू जी थे खूब रंग में, कुक्कू जी ने मेला देखा!
मेले में देखी एक गुड़िया टोप लगाए गुड्डा देखा, ढाई मन की धोबन देखी
हा–हा हँसता बुड्ढा देखा। बड़ी भीड़ थी, धक्कम–धक्का, झंझट और झमेला देखा!
गरम इमरती खूब उड़ाईं जी भर करके लड्डू खाए, फिर दौड़े झटपट अनार के
चूरन की एक पुड़िया लाए। घुँघरू बाँधे ठुन–ठुन करता, जलजीरे का ठेला देखा।
मोटे हाथी पर बैठे थे एक मोटे–ताजे लाला जी, हँसकर बोले–आओ–आओ,
कुक्कू ने तो बस, टाला जी। शीशमहल में नाटी–तिरछी, शक्लों का एक रेला देखा।
एक जगह बंदूक और थे टँगे हुए ढेरों गुब्बारे, कुक्कू जी ने लगा निशाना
फोड़ दिए सारे के सारे। ले इाम आए दंगल में– किंगकौंग का चेला देखा।
मन्नू जी, नाराज हो? Hindi Poem for Class 3
मन्नू जी, मन्नू जी, क्या नाराज हो? तुम तो भैया, हम सबके सरताज हो! फिर क्यों मन्नू जी, इतने नाराज हो?
मन्नू जी, अब आओ न, संग–संग खेलो, आगे बढ़कर बाँहों में बाँहें ले लो। मन्नू जी, हर मुश्किल को पीछे ठेलो, मन्नू जी, हर बाधा को हँसकर झेलो।
भूलो सारे दर्द–तराने, मन्नू जी, भूलो सारे गीत पुराने, मन्नू जी। मत लेटो अब लंबी ताने, मन्नू जी, उठकर चल दो फिर कुछ पाने, मन्नू जी।
ठीक करो सब ताने–बाने, मन्नू जी, ताजा कर लो फिर पहचानें, मन्नू जी। थोड़ा खिल–खिल हँस दो, प्यारे मन्नू जी, तारों के संग नाचें तारे, मन्नू जी।
पता नहीं इन बातों में क्या राज हो? मन्नू जी, मन्नू जी, क्या नाराज हो?
सड़क Hindi Poem for Class 3
कहाँ–कहाँ से आतीं सड़कें और कहाँ को जाती हैं, दौड़–दौड़कर जाती हैं ये दौड़–दौड़कर आती हैं।
पर शायद यह सही नहीं है सड़क वहीं पर रहती है, दौड़ा तो करते हैं हम–तुम सड़क सभी कुछ सहती है।
बोलो–बोलो, सड़क, तुम्हारी छाती पर है बोझा कितना? समझ न पाओगे तुम भैया– बोझा है छाती पर इतना!
इतना बोझा ढोकर भी मैं आह नहीं, पर करती हूँ, मेरा तप बस यही–यही है– सोच, सभी कुछ सहती हूँ।
मैं बोल–ओ सड़क, तुम्हारी कठिन तपस्या भारी है, तुमसे ही जीवन में गति है जग इसका आभारी है!
बोली सडत्रक–याद यह रखना नहीं रौंदना मुझको तुम, नहीं तोड़ना, नहीं फोड़ना तब जी लेंगे मिल हम–तुम!
तब से भाई, जान गया हूँ बड़े काम की चीज सड़क है, जो इस पर कूड़ा फैलाते उनसे होती मुझे रड़क है!
चतुर चित्रकार Hindi Poem for Class 3 on Painter
चित्रकार सुनसान जगह में बना रहा था चित्र। इतने ही में वहां आ गया यम राजा का मित्र।।
उसे देखकर चित्रकार के तुरंत उड़ गये होश। नदी पहाड़ पेड़ फिर उसको कुछ हिम्मत आई देख उसे चुपचाप।
बोला सुन्दर चित्र बना दूं बैठ जाइये आप।। उकरू मुकरू बैठ गया वह सारे अन्ग बटोर। ब
ड़े ध्यान से लगा देखने चित्रकार की ओर।। चित्रकार ने कहा हो गया आगे का तैयार।
अंब मुंह आप उधर तो करिये जंगल के सरदार।। बैठ गया वह पीठ फिराकर चित्रकार की ओर।
चित्रकार चुपके से खिसका जैसे कोई चोर।। बहुत देर तक आंख मूंदकर पीठ घुमाकर शेर।
बैठ बैठ लगा सोचने इधर हुई क्यों देर।। झील किनारे नाव लगी थी एक रखा था बांस।
चित्रकार ने नाव पकड़कर ली जी भरके सांस।। जल्दी जल्दी नाव चलाकर निकन गया वह दूर।
इधर शेर था धोखा खाकर झुंझलाहट में चूर।। शेर बहुत खिसियाकर बोला नाव जरा ले रोक।
कलम और कागज तो ले जा रे कायर डरपोक।। चित्रकार ने कहा तुरन्त ही रखिये अपने पास।
चित्रकला का आप कीजिए जंगल में अभ्यास।।
कितना और पडूँ मैं? Hindi Poem for Class 3 on Learning
कितना और पढूँ मैं बाबा, कितना और पढूँ?
पापा कहते, पढ़ो–पढ़ो जी मम्मी कहती, अब तू पढ़ ले
दादी कहतीं–लिखन–पढ़न की सभी सीढ़ियाँ चढ़ ले।
सिर पर लेकर भारी पत्थर डगमग–डगमग कदम बढ़ाकर,
कितने दुर्ग चढूँ मैं बाबा कितने दुर्ग चढूँ?
बस्ता है या भारी पत्थर नहीं भावना इसमें दिल है,
चाहे जितनी मेहनत कर लो आती पास नहीं मंजिल है।
खेल–कूद से छुट्टी कर लूँ क्या मित्रों से कुट्टी कर लूँ?
कितना और कुढूँ मैं बाबा कितना और कुढूँ?
झंझट हैं ये मोटे पोथे जैसे कठिन लड़ाई हो,
निकल इन्हीं से दुश्मन सेना मुझे पीटने आई हो।
यहाँ फँसा हूँ, वहाँ फँसा हूँ सब दिन सब डरता रहता हूँ,
कितना और लडूँ मैं बाबा कितना और लडूँ?
https://www.youtube.com/watch?v=oXcJuYYxhos
Thank you for reading these Hindi poems for Class 3 I’m sure it will add some value in your children’s lives and also grow in their life and also it will change their mindset these poems come form lots of mindset of successful people.
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