If you searching for the best Jhansi ki Rani Poem in Hindi then you are in the right place. Here I’m sharing with you the Popular Jhansi ki Rani Poem in Hindi which is really amazing and interesting I’m sure you will like it and appreciate it. This poem also encourages you in your life.
Jhansi ki Rani Poem in Hindi झांसी की रानी
सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
कानपूर के नाना की मुँहबोली बहन ‘छबीली‘ थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी,
वीर शिवाजी की गाथाएँ उसको याद ज़बानी थीं। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवार,
महाराष्ट्र–कुल–देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। (Jhansi ki Rani Poem in Hindi)
Click here – 11+ Unique Inspirational Poems in Hindi प्रेरणादायक 2021
हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में, ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में, सुभट बुंदेलों की विरुदावलि–सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजयाली छाई, किंतु कालगति चुपके–चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई, रानी विधवा हुई हाय! विधि को भी नहीं दया आई,
नि:सन्तान मरे राजा जी रानी शोक–समानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया, राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फ़ौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया, लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया,
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। (Jhansi ki Rani Poem in Hindi)
अनुनय विनय नहीं सुनता है, विकट फिरंगी की माया, व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे अब तो पलट गई काया, राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया,
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
छिनी राजधानी देहली की, लिया लखनऊ बातों–बात, कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजोर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात, जब कि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र–निपात,
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो यही कहानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
रानी रोई रनिवासों में, बेगम गम से थीं बेज़ार, उनके गहने–कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे–आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार, ‘नागपुर के जेवर ले लो “लखनऊ के लो नौलख हार‘,
यों परदे की इज्जत पर देशी के हाथ बिकानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। (Jhansi ki Rani Poem in Hindi)
कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान, वीर सैनिकों के मन में था, अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान, बहिन छबीली ने रण–चंडी का कर दिया प्रकट आह्वान,
हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
महलों ने दी आग, झोपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी, यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थीं, मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी
जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
इस स्वतंत्रता–महायज्ञ में कई वीरवर आए काम, नाना धुंधूपंत, ताँतिया चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम, भारत के इतिहास–गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम,
लेकिन आज जुर्म कहलाती, उनकी जो कुरबानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। (Jhansi ki Rani Poem in Hindi)
इनकी गाथा छोड़ चले हम झाँसी के मैदानों में, जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ़्टिनेन्ट वॉकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में, रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वंद्व असमानों में,
ज़ख्मी होकर वॉकर भागा, उसे अजब हैरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी ।
रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार, घोड़ा थककर गिरा भूमि पर, गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना–तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार, विजयी रानी आगे चल दी. किया ग्वालियर पर अधिकार,
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी, अबके जनरल स्मिथ सन्मुख था,
उसने मुँह की खाई थी, काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थीं, युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी,
पर, पीछे ह्यू रोज़ आ गया, हाय ! घिरी अब रानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ (Jhansi ki Rani Poem in Hindi)
तो भी रानी मार–काटकर चलती बनी सैन्य के पार, किंतु सामने नाला आया, था यह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गए सवार, रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार,
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर–गति पानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी, मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी, हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारत वासी, यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनाशी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झांसी
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। (Jhansi ki Rani Poem in Hindi)
– सुभद्रा कुमारी चौहान (‘मुकुल‘ से)
Thank you for reading Jhansi ki Rani Poem in Hindi I’m sure you would like it. and if you want you can share this poem with your friends and family I’m sure they will also like these poems and thank you for sharing these poems. Everyone know who is Jhansi ki Rani we do not need any kind of explanation.
Click here – 17+ Unique Emotional Poems in Hindi हिंदी में 2021
Kids Poems:-
- Unique Nursery Poem in Hindi
- Unique Hindi Poems for Class 5
- Unique Hindi Poem for Class 1
- Popular Hindi Poem for Class 3
- Unique Hindi Poem for kids
- Hindi poems for class 6
- Hindi Poem for Class 2 Competition
- Poems in Hindi For Class 10
- Poems in Hindi for Class 9
- Poems in Hindi for Class 8
- Poems in Hindi for Class 7
Emotional Poems:-
- Emotional Poems in Hindi
- Unique Sad Poem in Hindi
- Unique Desh Bhakti Poem in Hindi
- Unique Poem on Mother in Hindi
- Heart Touching Poem in Hindi
Motivational Poems:-
- Unique Hindi Diwas Poem
- Motivational Poem in Hindi
- Inspirational Poems in Hindi
- Popular Hindi Poetry on Life
- Hindi Poem on Life Struggle
- Beti Bachao Beti Padhao poem
Love Poems:-
- Popular Poem on Nature in Hindi
- Love Poem in Hindi
- Short Poems in Hindi
- Poem on Moon in Hindi
- Love Poem in Hindi for Girlfriend
- Romantic Poem in Hindi
Famous Poets:-
- Ramdhari Singh Dinkar Poems
- Harivansh Rai Bachchan Poem in Hindi
- Mahadevi Verma Poems in Hindi
- Rabindranath Tagore Poems in Hindi
- Kumar Vishwas Poem in Hindi